केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश : पांच जजों की संविधान पीठ आज करेगी सुनवाई

इससे पहले केरल की यूडीएफ सरकार ने भी मंदिर प्रशासन के समर्थन में कहा था कि धार्मिक मान्यताओं की वजह से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश : पांच जजों की संविधान पीठ आज करेगी सुनवाई

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश : संविधान पीठ आज करेगी सुनवाई (प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली:

केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल 50 साल की उम्र की महिलाओं  के प्रवेश पर रोक के मामले की सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ करेगा. दरअसल इस जनहित याचिका में कहा गया है कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश ना करने देना उनके साथ भेदभाव करना है. इससे पहले केरल की यूडीएफ सरकार ने भी मंदिर प्रशासन के समर्थन में कहा था कि धार्मिक मान्यताओं की वजह से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

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भगवान अयप्पा को ब्रह्मचारी और तपस्या लीन माना जाता है लेकिन सरकार बदलने के बाद पिछले साल नवंबर में यूडीएफ सरकार ने स्टैंड बदलते हुए कहा कि मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देनी चाहिए. दरअसल सबरीमाला मंदिर में परंपरा के अनुसार, 10 से 50 साल की महिलाओं की प्रवेश पर प्रतिबंध है.

संविधान पीठ को तय करना है :

- क्या महिला के बॉयोलाजिकल फैक्टर के आधार पर मंदिर में प्रवेश पर रोक समानता के अधिकारों का उल्लंघन करता है?
- क्या महिलाओं पर रोक के लिए धार्मिक संस्था मेॉ में चल रही इस प्रथा को इजाजत दी जा सकती है?
- क्या सबरीमाला धार्मिक संस्था की ये रोक संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में है?
- क्या अयप्पा मंदिर अलग धार्मिक संस्था है और अगर है तो क्या वो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का हनन कर सकता है और ऐसे महिलाओं को रोका जा सकता है?
- क्या महिलाओं पर रोक केरला हिंदू पब्लिक वर्शिप एंट्री एक्ट का हनन है?


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