हाथरस मामले की कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार हुए केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ने उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों पर अपने 'चिकित्सा अधिकारों' के उल्लंघन का आरोप लगाया है. कप्पन ने याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 28 अप्रैल के निर्देश के अनुसार उसके ठीक होने के बाद ही उसे अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी. लेकिन अधिकारियों ने उसे तब छुट्टी दे दी, जब वो कोविड-19 पॉजिटिव था. इस दौरान उसे मथुरा जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. ये सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्पष्ट उल्लंघन है.
कप्पन ने याचिका में कहा है कि, “6 मई, 2021 की मध्यरात्रि में उसे अस्पताल से छुट्टी देने और यहां तक कि उसे नींद से वंचित करने का काम अदालत की अवमानना है.” याचिका में आगे कहा गया है कि दो नोटिस दिए जाने के बावजूद, एक 9 मई को और दूसरा 25 मई को, अधिकारियों ने इस संबंध में कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया. इस तरह यह निष्कर्ष निकलता है कि ये जानबूझकर किया गया है. बता दें कि, इससे पहले पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की पत्नी रैहनत कप्पन ने उत्तर प्रदेश सरकार को अवमानना का नोटिस भेजा था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के 28 अप्रैल के आदेश का पालन ना करने का आरोप लगाया गया था. साथ ही अदालत को उनकी चिकित्सा स्थिति के बारे में गलत/भ्रामक जानकारी प्रस्तुत करने का आरोप लगाया था.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को उत्तर प्रदेश की मथुरा जेल से इलाज के लिए दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था. हाथरस कांड में सिद्दीकी कप्पन को यूपी पुलिस ने 3 लोगों के साथ गिरफ्तार किया था, जब वो 3 अक्टूबर को हाथरस जा रहा था और बाद में उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वह और उनके साथी हाथरस गैंगरेप-हत्या मामले में सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे.
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