नए साल में महंगाई का एक और झटका आम लोगों को लग सकता है. एक जनवरी से जूते-चप्पल और रेडीमेड गारमेंट पर गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी तक करने का प्रस्ताव है जिससे फुटवियर और रेडीमेड कपड़े महंगे हो सकते हैं. वैसे, इस फैसले का व्यापारियों की ओर से काफी विरोध हो रहा है. दिल्ली के लारेंस रोड पर चप्पल की फैक्ट्री के मालिक विजय कुमार बंसल की चप्पलें और जूते देश के दूरदराज इलाकों में जाते हैं. कोरोना के चलते घाटा खा चुके विजय कुमार अब जूते-चप्पल पर GST बढ़ाने की बात सुनकर नाराज है. उनकी सस्ती चप्पलें अब महंगी होंगी जिसका असर बिक्री पर पड़ सकता है.
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लारेंस रोड फुटवेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय कुमार बंसल कहते हैं, 'हमारे कारोबार पर 5% जीएसटी था जो आम और गरीब लोगों के लिए जूते-चप्पल बनाते थे. अब सरकार ने जो हजार रुपए का जूता-चप्पल बनाते थे उन पर भी GST बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया और हम लोग जैसे छोटे कारोबारी थे, उन पर भी 12% फीसदी लगा रहे हैं. इससे हमारा कारोबार की लागत बढ़ेगी. इसके अलावा रेडीमेड गारमेंट पर भी GST पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने की योजना है. यानी 200 रुपए का जो कपड़ा अब तक 210 रुपए में मिलता था वो अब बढ़कर 224 रुपए तक हो सकता है. इसी के चलते ट्रेडर्स एसोसिएशन ने भी वित्त मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि गारमेंट पर पांच फीसदी GST बरकरार रखा जाए. टैक्स बढ़ने से कोरोना काल के घाटे से उबर रहे छोटे कारोबारियों को झटका लगेगा. इसके साथ ही चीन, बांग्लादेश, वियतनाम के मुकाबले हमारे कपड़े महंगे होंगे, जिससे हमारा निर्यात कम होने की संभावना है
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उधर तेलंगाना के कॉमर्स मंत्री और पश्चिम बंगाल के वित्त सलाहकार अमित मित्रा ने भी पत्र लिखकर GST की दर बढ़ने से से करीब 15 लाख रोजगार और एक लाख छोटे यूनिट बंद होने का अंदेशा केंद्र सरकार के समक्ष जताया है. एक तरफ जहां, भारत सरकार 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत लघु-कुटीर उद्दोगों को हरसंभव मदद देने का ऐलान कर रही है वहीं दूसरी तरफ GST बढ़ाने से उनका प्रोडक्ट तो मंहगा होगा ही बाजार में डिमाॉड भी घटने की आशंका है, इसके चलते व्यापारी चिंतित हैं.
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