भारत की आर्थिक विकास दर अगले साल 9 प्रतिशत रहने की संभावना

चालू वित्त वर्ष में 9 प्रतिशत की विकास दर के अपने अनुमान पर कायम हैं. ‘K' आकार की अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार से तात्पर्य नरमी के बाद अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग पुनरुद्धार के स्तर से है.

भारत की आर्थिक विकास दर अगले साल 9 प्रतिशत रहने की संभावना

कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के अर्थव्यवस्था पर असर न पड़ने का अनुमान

मुंबई:

देश की आर्थिक विकास दर (GDP) की वास्तविक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष (2021-22) और अगले वित्त वर्ष (2022-23) में 9 फीसदी रहने की संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर चिंता के बावजूद अर्थव्यवस्था की रफ्तार ऊंची रहने का अनुमान है.चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में आर्थिक वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही है. वहीं पहली तिमाही अप्रैल-जून में अर्थव्यवस्था 20.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी. घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने एक रिपोर्ट में ये कहा है.

नायर ने कहा कि हम अर्थव्यवस्था के संगठित और असंगठित क्षेत्रों के बीच स्पष्ट के आकार के पुनरुद्धार के साथ चालू वित्त वर्ष में 9 प्रतिशत की विकास दर के अपने अनुमान पर कायम हैं. ‘K' आकार की अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार से तात्पर्य नरमी के बाद अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग पुनरुद्धार के स्तर से है.

उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में भी भारतीय अर्थव्यवस्था नौ प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.नायर ने संभावना जताई कि मार्च, 2022 तक दोनों टीके लगा चुके वयस्कों की संख्या बढ़कर 85-90 प्रतिशत हो जाएगी. उन्होंने कहा कि बूस्टर खुराक और 15-18 आयु वर्ग के लिए टीकों की घोषणा का स्वागत है, लेकिन अभी यह देखा जाना बाकी है कि क्या मौजूदा टीके ओमिक्रॉन के खिलाफ सुरक्षा देने में सक्षम रहेंगे या नहीं, जिससे देश में महामारी की तीसरी लहर को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए कई राज्यों द्वारा अंकुश लगाए जा रहे हैं.

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इससे आर्थिक पुनरुद्धार अस्थायी रूप से बाधित हो सकता है. विशेष तौर पर इससे चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कई क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं. अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था का विस्तार अधिक बड़ा होगा. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के जो आंकड़े उपलब्ध हैं उनसे इस बात का स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का सतत और टिकाऊ वृद्धि का पैमाना पूरा हुआ है, जिसके आधार पर वह फरवरी, 2022 में नीतिगत रुख में बदलाव कर इसे तटस्थ करे.