पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
जीएसटी के अस्तित्व में आने के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने अपना सबसे बड़ा राजनीतिक दांव खेला है. जीएसटी को नोटबंदी के बाद का पीएम मोदी का सबसे बड़ा राजनीतिक जुआ कहा जा रहा है. जानकारों के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि अगले दो वर्षों में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं और देश को आर्थिक रफ्तार देने के लिए लिहाज से जीएसटी पर काफी भरोसा किया जा रहा है. इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से आर्थिक रफ्तार तो बढ़ी है लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली है. इस कारण पीएम मोदी के वादे के अनुरूप नौकरियों का सृजन नहीं हो पाया है.
अब जीएसटी के बारे में कहा जा रहा है कि इससे देश की इकोनॉमी को जबर्दस्त फायदा होगा. ऐसे में यदि यह कामयाब हुआ तो पीएम मोदी निर्विवाद रूप से सर्वमान्य नेता से भी बढ़कर स्टेट्समैन बनकर उभरेंगे एवं उनकी छवि और मजबूत होगी. वह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पीएम मोदी ने नोटबंदी के फैसले की तरह इस बार जीएसटी की जिम्मेदारी भी अपने सिर ली है. लिहाजा सफलता या असफलता की दशा में सेहरा उनके सिर ही बंधेगा. इस लिहाज से यदि यह कदम सफल नहीं रहा और नतीजे सरकार के मनमुताबिक नहीं रहे तो इसकी बड़ी कीमत बीजेपी को चुकानी पड़ सकती है.
यह इसलिए भी अहम है क्योंकि नोटंबदी और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इसको भी सरकार का बोल्ड कदम माना जा रहा है. नोटबंदी की जब घोषणा हुई थी तो उस निर्णय का भार भी पीएम मोदी के कंधों पर ही था लेकिन उनकी विश्वसनीयता का ही प्रमाण था कि आम लोगों को कुछ परेशानियां शुरुआत में जरूर हुईं लेकिन सरकार को ज्यादा आलोचनाओं का सामना नहीं करना पड़ा.
ऐसा ही बोल्ड निर्णय सर्जिकल स्ट्राइक का भी था. उससे अभी तक पाकिस्तान के साथ निपटने के पांरपरिक तौर-तरीकों का दायरा टूट गया और पीएम मोदी की विश्वसनीयता और छवि में इजाफा हुआ. दरअसल पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद से जिस तरह से शुरुआत की और भ्रष्टाचार का कोई भी आरोप सरकार में किसी भी स्तर पर नहीं लगा है. उससे पीएम मोदी की विश्वसनीय छवि अब मुकम्मल रूप ले चुकी है और जनता के इसी भरोसे का नतीजा है कि वह राष्ट्र हित में एक से बढ़कर एक साहसिक निर्णय लेकर सियासत की नई इबारत लिख रहे हैं.
अब जीएसटी के बारे में कहा जा रहा है कि इससे देश की इकोनॉमी को जबर्दस्त फायदा होगा. ऐसे में यदि यह कामयाब हुआ तो पीएम मोदी निर्विवाद रूप से सर्वमान्य नेता से भी बढ़कर स्टेट्समैन बनकर उभरेंगे एवं उनकी छवि और मजबूत होगी. वह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पीएम मोदी ने नोटबंदी के फैसले की तरह इस बार जीएसटी की जिम्मेदारी भी अपने सिर ली है. लिहाजा सफलता या असफलता की दशा में सेहरा उनके सिर ही बंधेगा. इस लिहाज से यदि यह कदम सफल नहीं रहा और नतीजे सरकार के मनमुताबिक नहीं रहे तो इसकी बड़ी कीमत बीजेपी को चुकानी पड़ सकती है.
यह इसलिए भी अहम है क्योंकि नोटंबदी और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इसको भी सरकार का बोल्ड कदम माना जा रहा है. नोटबंदी की जब घोषणा हुई थी तो उस निर्णय का भार भी पीएम मोदी के कंधों पर ही था लेकिन उनकी विश्वसनीयता का ही प्रमाण था कि आम लोगों को कुछ परेशानियां शुरुआत में जरूर हुईं लेकिन सरकार को ज्यादा आलोचनाओं का सामना नहीं करना पड़ा.
ऐसा ही बोल्ड निर्णय सर्जिकल स्ट्राइक का भी था. उससे अभी तक पाकिस्तान के साथ निपटने के पांरपरिक तौर-तरीकों का दायरा टूट गया और पीएम मोदी की विश्वसनीयता और छवि में इजाफा हुआ. दरअसल पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद से जिस तरह से शुरुआत की और भ्रष्टाचार का कोई भी आरोप सरकार में किसी भी स्तर पर नहीं लगा है. उससे पीएम मोदी की विश्वसनीय छवि अब मुकम्मल रूप ले चुकी है और जनता के इसी भरोसे का नतीजा है कि वह राष्ट्र हित में एक से बढ़कर एक साहसिक निर्णय लेकर सियासत की नई इबारत लिख रहे हैं.
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