Ground Report: हिन्दू-मुसलमान और पलायन कोई मुद्दा नहीं, जानिए क्या है कैराना के लोगों का मूड

कैराना में हिन्दुओं के पलायन और नाहिद हसन के मुद्दे पर इस वक्त सूबे की सियासत को गरमाने की कोशिश हो रही है. लेकिन कैराना की जनता की कुछ और ही राय है.

शामली:

नेताओं को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और हिन्दू पलायन का सियासी मुद्दा देने वाली कैराना विधानसभा के लोगों के लिए हिन्दू-मुसलमान और पलायन कोई मुद्दा नहीं है. कैराना में हिन्दुओं के पलायन और नाहिद हसन के मुद्दे पर इस वक्त सूबे की सियासत को गरमाने की कोशिश हो रही है. लेकिन कैराना बाजार में 30 साल से दुकानदारी और व्यापार मंडल के अध्यक्ष अनिल गुप्ता के चेहेरे पर बेफिक्री है. अनिल गुप्‍ता कहते हैं, 'देखिए मुझसे पूरे व्यापारी जुड़े हैं. मैं यहीं का बाशिंदा हूं लेकिन जो दिखाया जा रहा है, हिन्दू-मुसलमान वाली यहां कोई बात नहीं है. हिन्दू मुसलमान वाली कोई समस्या नहीं है. लेकिन सपा सरकार में बदमाशी थी.'

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नाहिद हसन के बारे में क्या सोच है? इस सवाल के जवाब में अनिल गुप्‍ता कहते हैं, 'नहीं ऐसी कोइ बात नहीं है. कैराना में जो शांति है, उसमें नाहिद हसन का भी योगदान है. यहां हिन्दू मुसलमान कभी नहीं हुआ. पलायन मूला पंसारी एक ही परिवार का पलायन हुआ था वो वापस आ गया.'

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जबकि अनिल कुमार गुप्ता की दुकान से चंद कदमों की दूरी पर सुरेंद्र कुमार विनोद कुमार की दुकान है. विनोद कुमार की हत्या फुरकान गैंग ने 2013 में कर दी थी. लेकिन उनके बेटे हमें दुकान पर बैठे मिले. पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इनके परिवार से मुलाकात की लेकिन इनके परिवार के लोगों ने पलायन नहीं किया था. अब इनका परिवार मीडिया से बात नहीं करना चाहता है. इस बाजार में हिन्दुओं की दुकानें भी हैं और मुसलमानों की भी. यहां कारोबार नहीं है. रोज पांच हजार यहां से पानीपत रोजगार के लिए जाते हैं.

पलायन की सबसे पहले खबर लिखने वाले कैराना के स्थानीय पत्रकार पुनीत गोयल कहते हैं, 'कैराना में पहले गुंडों का राज था. यहां हिंदू मुसलमान वाली कोई बात नहीं थी. अब बीजेपी सरकार में गुंडे खुद पलायन कर गए. अब इस मुद्दे पर कोई बात नहीं करना चाहता है क्योंकि पलायन कोई मुद्दा नहीं है. रोजगार के लिए लोग पलायन किए थे.'

अब बात करते हैं कैराना की राजनीति के सबसे चर्चित और विवादास्पद सपा उम्मीदवार नाहिद हसन की. नाहिद हसन पर 17 मामले दर्ज हैं. वो फिलहाल जेल में हैं. दो बार सांसद रही उनकी मां तबस्सुम हसन भूमिगत हैं. इसके चलते उनकी बहन इकरा हसन लंदन में अपनी पढ़ाई छोड़कर कैराना लौटी हैं, लेकिन फिलहाल मीडिया के सामने नहीं आना चाहती हैं.

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नाहिद हसन के चाचा इदरीस कहते हैं, 'कोई केस नहीं था, 2018 तक कोई केस नहां था. लेकिन पुलिस अधिकारी अजयपाल शर्मा से उनका झगड़ा हुआ और फिर कई केस लगाए गए.'

कैराना विधानसभा से बीजेपी की प्रत्याशी और हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह चुनावी मैदान में हैं. वो कहती हैं कि कैराना का सबसे बड़ा मुद्दा विकास का है. उनका कहना है कि यहां मुद्दा विकास का है, उसे आगे बढ़ाना यही मुद्दा है. विकास चाहे शिक्षा में हो चाहे, रोजगार में हो.

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आंकड़ों में कैराना विधानसभा क्षेत्र

कैराना सीट-
कुल मतदाता-318294
पुरुष मतदाता-171026
महिला मतदाता-147258

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जातिगत मतदाता-
मुस्लिम 1.37 लाख, गुर्जर 27550, ठाकुर 4930, कश्यप 40423, दलित 9808, सैनी 12190, जाट 24650, ब्राह्मण 8862, वैश्य 6154, नाई/बढ़ई 10400, कोरी 8364, बावरिया 6250, अन्य 22 हजार