सोपोर से ग्राउंड रिपोर्ट : अलगाववादियों और पुलिस के बीच पिस रहे सेब व्यापारी, बंद से धंधा चौपट

सोपोर से ग्राउंड रिपोर्ट : अलगाववादियों और पुलिस के बीच पिस रहे सेब व्यापारी, बंद से धंधा चौपट

सोपोर की सेब मंडी में सन्नाटा.

खास बातें

  • अलगाववादियों की मनमानी नहीं चलने देना चाहती पुलिस
  • सोपोर में अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का दबदबा
  • खुफिया तंत्र के मुताबिक सेब व्यापारियों के नुकसान की भरपाई पाकिस्तान से
सोपोर:

सोपोर में कश्मीर की सबसे बड़ी फलों की मंडी है, यहां बीते कई दिनों से तालेबंदी है. कारोबारी परेशान हैं क्योंकि हड़ताल बुलाने वाले अलगाववादी उन्हें दिन में काम नहीं करने दे रहे. वे कहते हैं कि अगर मंडी चलानी है तो शाम छह बजे से सुबह छह बजे के बीच ही चलेगी. दूसरी तरफ रात में पुलिस कारोबार करने की इजाजत नहीं देती.

सोपोर के सेब व्यापारियों के संगठन के अध्यक्ष मुश्ताक अहमद ने एनडीटीवी से कहा कि "हम बहुत परेशान हैं. सुबह हड़ताल है काम नहीं कर सकते, रात को पुलिस काम नहीं करने देती. हम दोनों जगह से पिस रहे हैं."  

दूसरी तरफ पुलिस कहती है कि मंडी शाम को नहीं खुलेगी. न तो अलगाववादियों की मनमानी चलेगी और न ही उनका कैलेंडर चलेगा. मंडी अपने तय वक्त पर ही खुलेगी, यानी सुबह आठ से शाम के छह बजे तक. सोपोर के एसएसपी हरमीत सिंह ने एनडीटीवी को बताया कि "ज्यादा मसला ट्रकों का है क्योंकि ज्यादातर ट्रक बाहर के हैं. हम उन्हें सुरक्षा देते हैं. यह इलाका ऐसा है कि रात में अगर मंडी खुली रहेगी तो कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं."

 

आम तौर पर सेब की खरीद-फरोख्त सुबह होती है. दिन में उनकी पैकिंग होती है और रात में सेब ट्रकों पर लोड करके देशभर में भेजा जाता है. मुश्ताक अहमद का कहना है कि "हम चाहते हैं कि यह मसला जल्द सुलझे. सरकार को हालात जल्द ठीक करने चाहिए."
 

सोपोर इलाके में अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का दबदबा है. जब एनडीटीवी की टीम यहां पहुंची तो शहर में सन्नाटा पसरा था. जगह-जगह मस्जिदों से कश्मीर की आजादी के गीत सुनाई दे रहे थे. खौफ इतना कि कोई कैमरे पर बात करने के लिए तैयार नहीं हुआ. कहा गया कि जब बागान वालों ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से बात नहीं की तो मीडिया से क्या करेंगे. दूसरी तरफ खुफिया तंत्र का कहना है कि व्यापारी जानबूझकर कारोबार में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं क्योंकि नुकसान की भरपाई पाकिस्तान से आए पैसे से हो रही है.
 

कश्मीर में यह सेब मंडी 1980 के दशक में खोली गई थी. यहां से सेब की करीब दो करोड़ पेटियां हर साल देशभर में सप्लाई होती हैं. कई बेहतरीन किस्मों का निर्यात भी होता है. यहां का सालाना कारोबार कई हजार करोड़ रुपये का है.

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