संसद की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
लोकसभा में भारी हंगामे के बीच सरकार ने बड़ा आर्थिक अपराध कर विदेश भागने वाले बड़े भगोड़ों से सख्ती से निपटने के लिए एक नया बिल पेश कर दिया. बिल में विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे बड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्ति ज़ब्त करने की बात है.
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वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने सोमवार को लोकसभा में विधेयक पेश किया. विधेयक में भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित होने पर विशेष न्यायालय द्वारा व्यक्ति की भारत में या भारत के बाहर कोई संपत्ति: जो अपराधी के स्वामित्व वाली है या नहीं और जो उसकी बेनामी संपत्ति है:, उसे जब्त करने का आदेश देने का प्रावधान है. विधेयक में प्रावधान है कि एक सौ करोड़ रुपये या उससे अधिक की रकम के ऐसे अपराध करने के बाद, जो व्यक्ति फरार है या भारत में दंडनीय अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिए भारत वापस आने से इनकार करता है, उसकी संपत्ति और अपराध से अर्जित संसाधनों की कुर्की की जा सकती है.
इसमें किसी भगोड़े आर्थिक अपराधी की कोई सिविल दावा करने या बचाव करने की हकदारी नहीं होने का भी प्रावधान है. विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है, ‘‘ऐसे अनेक मामले सामने आये हैं जिसमें लोग आर्थिक अपराध की दंडनीय कार्यवाही शुरू होने की संभावना में या कभी कभी कार्यवाहियों के लंबित रहने के दौरान भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र से पलायन कर गये हैं.’’ इसमें कहा गया, ‘‘भारतीय अदालतों से ऐसे अपराधियों की अनुपस्थिति के अनेक हानिकारक परिणाम हुए हैं और मामलों में जांच में बाधा उत्पन्न होती है. इससे न्यायालयों का समय व्यर्थ होता है और इससे भारत में विधि शासन कमजोर होता है.’’
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इसमें कहा गया है, ‘‘इस समस्या का समाधान करने के लिए और आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर बने रहने के माध्यम से भारतीय कानूनी प्रक्रिया से बचने से हतोत्साहित करने के उपाय के लिए भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 अधिनियमित करने का प्रस्ताव है.’’ बीजद के भतृहरि महताब ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर विरोध दर्ज कराते हुए इसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई और सरकार को इसे फिर से तैयार करके लाने की सलाह दी. हालांकि वित्त राज्य मंत्री शुक्ला ने कहा कि इसका कोई आधार नहीं है.
गौरतलब है कि यह विधेयक विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कारोबारियों द्वारा बैंकों का अरबों रुपये का कर्ज नहीं लौटाने और देश से बाहर चले जाने की पृष्ठभूमि में लाया गया है. (इनपुट भाषा से)
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वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने सोमवार को लोकसभा में विधेयक पेश किया. विधेयक में भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित होने पर विशेष न्यायालय द्वारा व्यक्ति की भारत में या भारत के बाहर कोई संपत्ति: जो अपराधी के स्वामित्व वाली है या नहीं और जो उसकी बेनामी संपत्ति है:, उसे जब्त करने का आदेश देने का प्रावधान है. विधेयक में प्रावधान है कि एक सौ करोड़ रुपये या उससे अधिक की रकम के ऐसे अपराध करने के बाद, जो व्यक्ति फरार है या भारत में दंडनीय अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिए भारत वापस आने से इनकार करता है, उसकी संपत्ति और अपराध से अर्जित संसाधनों की कुर्की की जा सकती है.
इसमें किसी भगोड़े आर्थिक अपराधी की कोई सिविल दावा करने या बचाव करने की हकदारी नहीं होने का भी प्रावधान है. विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है, ‘‘ऐसे अनेक मामले सामने आये हैं जिसमें लोग आर्थिक अपराध की दंडनीय कार्यवाही शुरू होने की संभावना में या कभी कभी कार्यवाहियों के लंबित रहने के दौरान भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र से पलायन कर गये हैं.’’ इसमें कहा गया, ‘‘भारतीय अदालतों से ऐसे अपराधियों की अनुपस्थिति के अनेक हानिकारक परिणाम हुए हैं और मामलों में जांच में बाधा उत्पन्न होती है. इससे न्यायालयों का समय व्यर्थ होता है और इससे भारत में विधि शासन कमजोर होता है.’’
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इसमें कहा गया है, ‘‘इस समस्या का समाधान करने के लिए और आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर बने रहने के माध्यम से भारतीय कानूनी प्रक्रिया से बचने से हतोत्साहित करने के उपाय के लिए भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 अधिनियमित करने का प्रस्ताव है.’’ बीजद के भतृहरि महताब ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर विरोध दर्ज कराते हुए इसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई और सरकार को इसे फिर से तैयार करके लाने की सलाह दी. हालांकि वित्त राज्य मंत्री शुक्ला ने कहा कि इसका कोई आधार नहीं है.
गौरतलब है कि यह विधेयक विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कारोबारियों द्वारा बैंकों का अरबों रुपये का कर्ज नहीं लौटाने और देश से बाहर चले जाने की पृष्ठभूमि में लाया गया है. (इनपुट भाषा से)
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