किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) शनिवार को साहिबाबाद साइट चार स्थित सीईएल के कर्मचारियों द्वारा कंपनी गेट निजीकरण के विरोध में चलाए जा रहे आंदोलन को संबोधित करने पहुंचे. उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) के इस आंदोलन को समर्थन की बात कही. टिकैत ने कहा भारत सरकार देश में रोजगार के धंधे बंद करना चाहती है. सीईएल (Central Electronics Limited) में आप लोगों सामजिक दृष्टि से महत्पूर्ण उत्पादन करते हो. ऐसी कंपनियों के निजी हाथों में जाने से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. किसान बिल लाकर सरकार ने यह भी साबित कर दी है कि देश की संसद में सेंधमारी हुई है, क्योंकि देश की संसद में कानून बाद में बने और देश में अनाज के गोदाम पहले बनने शुरू हो गए.
उन्होंने कर्मचारियों को भरोसा दिलाया कि किसान-मजदूर एक ही हैं और सरकार के खिलाफ हम मिलकर लड़ रहे हैं. दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा आंदोलन केवल किसानों का नहीं, बल्कि मजदूरों, छोटे दुकानदारों और नौकरीपेशा का भी है. टिकैत ने कहा देश की कंपनियों को बेचे जाने के हम खिलाफ हैं. इन कंपनियों के निजी हाथों में जाने मजदूरों के अधिकारों का हनन होता है, ऐसा हम नहीं होने देंगे. उन्होंने कंपनी कर्मचारियों को भरोसा दिलाया कि किसानों का संयुक्त मोर्चा पर जितना हक है, मजदूरों का भी उतना ही हक है. किसान-मजदूरों की लड़ाई एक है और मिलकर लड़ी जाएगी. उन्होंने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि देश में रोटी को तिजौरी की वस्तु नहीं बनने देंगे.
इससे पहसे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने शनिवार को सहारनपुर मंडल की बैठक भी की. राकेश टिकैत ने कहा कि रविवार को प्रस्तावित आगरा मंडल की मीटिंग को व्यस्तता के चलते 16 नवंबर को करने का निर्णय लिया गया है. जिला और मंडल कमेटियों को नए सिरे से गठन करने के बाद टिकैत रोजाना एक मंडल के कार्यकर्ताओं को बुलाकर मीटिंग ले रहे हैं. मीटिंग के दौरान आंदोलन की रूपरेखा और इसे मजबूत बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही टिकैत नए पदाधिकारियों को रोटेशन व्यवस्था से कैसे घर, खेत और आंदोलन के बीच तालमेल बनाए रखना है,
शनिवार को सहारनपुर मंडल के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत होगी, उसमें सभी जिलों और मंडलों की भागीदारी होगी. उसके बाद 26 नवंबर को आंदोलन का एक वर्ष पूरा होने के बाद 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर रोजाना पांच सौ किसान ट्रैक्टरों से संसद जाएंगे. यह कार्यक्रम रोटेशन व्यवस्था से ही होंगे ताकि खेत में काम भी खराब न हो.
बता दें कि बृहस्पतिवार और शुक्रवार को आंदोलन स्थल पर क्रमशः मेरठ और मुरादाबाद मंडल के पदाधिकारियों की बैठक राकेश टिकैत ने ली थी. दूसरी ओर शुक्रवार से किसानों ने दिल्ली कूच का रिहर्सल भी शुरू कर दिया. शनिवार को दूसरे दिन भी एक्सप्रेस-वे की दिल्ली की ओर जाने वाली लेन पर किसानों ने रिहर्सल किया.
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