स्मृति ईरानी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में घोषणा की कि सरकार देश में तीन नई संस्कृत यूनिवर्सिटीज़ स्थापित करेगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस फैसले से शिक्षा के भगवाकरण को लेकर बहस छिड़ सकती है।
दो दिल्ली में, एक तिरुपति में होगी
लोकसभा में जमा की रिपोर्ट में मंत्रालय की ओर से कहा गया कि सरकार संस्कृत की तीन डीम्ड यूनिवर्सिटी को फंड करेगी। इनमें से दो दिल्ली में होंगी और एक तिरुपति में। दिल्ली में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान और श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ होगी जबकि तिरुपति में राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ होगी।
मंत्रालय ने बताया कि 2015 में उसने कमिटी गठित करके एक रोडमैप तैयार किया है ताकि संस्कृत का विकास किया जा सके। 2014 में सेंकड संस्कृत कमिशन बैठाई गई थी जोकि अपने कार्यकाल के भीतर रिपोर्ट नहीं दे पाई थी।
संस्कृत को लेकर पहले भी हो चुका है हल्ला
बता दें कि मंत्रालय के संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के फैसलों की भारी आलोचना होती रही है। अप्रैल में लोकसभा को कहा गया था संस्कृत साहित्य में मौजूद विज्ञान एवं तकनीक के अध्ययन के लिए संस्कृत पढ़ाई जाए।
इससे पहले यानी पिछले साल जर्मन को थर्ड लैंग्वेज के तौर पर हटा कर संस्कृत को लाने का फैसला भी आलोचना के केंद्र में रहा था। यह फैसला देश के करीब 500 केंद्रीय विद्यालयों पर लागू करने का फैसला लिया गया था। हालांकि स्मृति ईरानी संस्कृत को कंपल्सरी करने की मांग को खारिज कर चुकी हैं।
दो दिल्ली में, एक तिरुपति में होगी
लोकसभा में जमा की रिपोर्ट में मंत्रालय की ओर से कहा गया कि सरकार संस्कृत की तीन डीम्ड यूनिवर्सिटी को फंड करेगी। इनमें से दो दिल्ली में होंगी और एक तिरुपति में। दिल्ली में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान और श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ होगी जबकि तिरुपति में राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ होगी।
मंत्रालय ने बताया कि 2015 में उसने कमिटी गठित करके एक रोडमैप तैयार किया है ताकि संस्कृत का विकास किया जा सके। 2014 में सेंकड संस्कृत कमिशन बैठाई गई थी जोकि अपने कार्यकाल के भीतर रिपोर्ट नहीं दे पाई थी।
संस्कृत को लेकर पहले भी हो चुका है हल्ला
बता दें कि मंत्रालय के संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के फैसलों की भारी आलोचना होती रही है। अप्रैल में लोकसभा को कहा गया था संस्कृत साहित्य में मौजूद विज्ञान एवं तकनीक के अध्ययन के लिए संस्कृत पढ़ाई जाए।
इससे पहले यानी पिछले साल जर्मन को थर्ड लैंग्वेज के तौर पर हटा कर संस्कृत को लाने का फैसला भी आलोचना के केंद्र में रहा था। यह फैसला देश के करीब 500 केंद्रीय विद्यालयों पर लागू करने का फैसला लिया गया था। हालांकि स्मृति ईरानी संस्कृत को कंपल्सरी करने की मांग को खारिज कर चुकी हैं।
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