रवि शंकर प्रसाद (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर जारी किए गए डाक टिकट बंद किए जाने के फैसले को लेकर बुधवार को विवाद शुरू हो गया और सरकार ने कहा कि सिर्फ एक ही परिवार को यह सम्मान नहीं मिल सकता, वहीं कांग्रेस ने इस कदम को ‘‘इतिहास का अपमान’’ बताते हुए माफी मांगे जाने की मांग की।
संचार मंत्री का बयान
इस कदम का बचाव करते हुए संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा कि एक सलाहकार समिति ने अंतर्देशीय पत्रों पर इंदिरा गांधी की तस्वीर के स्थान पर योग की तस्वीर लगाने का सुझाव दिया है। लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
सलाहकार समिति के सुझाव
प्रसाद ने कहा कि डाक टिकट संबंधी एक सलाहकार समिति के सुझाव पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, शिवाजी, मौलाना आजाद, भगत सिंह, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, विवेकानंद और महाराणा प्रताप के सम्मान में डाक टिकटों की निर्धारित शृंखला जारी करने का फैसला किया गया है।
एक ही परिवार पर श्रृंखला
उन्होंने कहा, ‘‘ निर्धारित डाक टिकट शृंखला में, (अब तक) जोर एक ही परिवार पर था, हालांकि अन्य नाम भी थे। महात्मा गांधी थे, मौलाना आजाद थे। डा अंबेडकर थे। डा भाभा थे।’’ मंत्री ने कहा कि नई शृंखला समावेशी है जिसमें जवाहरलाल नेहरू सहित स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख लोगों के योगदान को शामिल करने पर जोर दिया गया है।
पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर जारी डाक टिकटों को बंद करने के फैसले का बचाव करते हुए प्रसाद ने कहा कि सरकार का मानना है कि भारत के निर्माण में जिन किसी ने योगदान किया है, भले ही उनकी विचारधारा कुछ भी हो, उनका सम्मान किया जाना चाहिए और डाक टिकट उस सम्मान का एक प्रतीक है।
कांग्रेस बोली, संकीर्ण मानसिकता
उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि यह अधिकार सिर्फ एक ही परिवार के पास नहीं होना चाहिए।’’ कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह फैसला ‘‘काफी संकीर्ण मानसिकता’’ प्रदर्शित करता है। पार्टी ने सरकार से माफी मांगने की मांग की।
संचार मंत्री का बयान
इस कदम का बचाव करते हुए संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह भी कहा कि एक सलाहकार समिति ने अंतर्देशीय पत्रों पर इंदिरा गांधी की तस्वीर के स्थान पर योग की तस्वीर लगाने का सुझाव दिया है। लेकिन अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
सलाहकार समिति के सुझाव
प्रसाद ने कहा कि डाक टिकट संबंधी एक सलाहकार समिति के सुझाव पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, शिवाजी, मौलाना आजाद, भगत सिंह, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, विवेकानंद और महाराणा प्रताप के सम्मान में डाक टिकटों की निर्धारित शृंखला जारी करने का फैसला किया गया है।
एक ही परिवार पर श्रृंखला
उन्होंने कहा, ‘‘ निर्धारित डाक टिकट शृंखला में, (अब तक) जोर एक ही परिवार पर था, हालांकि अन्य नाम भी थे। महात्मा गांधी थे, मौलाना आजाद थे। डा अंबेडकर थे। डा भाभा थे।’’ मंत्री ने कहा कि नई शृंखला समावेशी है जिसमें जवाहरलाल नेहरू सहित स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख लोगों के योगदान को शामिल करने पर जोर दिया गया है।
पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर जारी डाक टिकटों को बंद करने के फैसले का बचाव करते हुए प्रसाद ने कहा कि सरकार का मानना है कि भारत के निर्माण में जिन किसी ने योगदान किया है, भले ही उनकी विचारधारा कुछ भी हो, उनका सम्मान किया जाना चाहिए और डाक टिकट उस सम्मान का एक प्रतीक है।
कांग्रेस बोली, संकीर्ण मानसिकता
उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि यह अधिकार सिर्फ एक ही परिवार के पास नहीं होना चाहिए।’’ कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह फैसला ‘‘काफी संकीर्ण मानसिकता’’ प्रदर्शित करता है। पार्टी ने सरकार से माफी मांगने की मांग की।
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