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This Article is From Jul 15, 2020

दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना से होने वाली मौत को कम करने के लिए सरकार ने एडवाइजरी जारी की 

देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. देश में अब तक कोरोना के 9 लाख से अधिक मामले (Corona cases in india) सामने आ चुके हैं. इधर दिल्ली सरकार ने कोरोना से होने वाली मौत को कम करने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है.

दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना से होने वाली मौत को कम करने के लिए सरकार ने एडवाइजरी जारी की 
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. देश में अब तक कोरोना के 9 लाख से अधिक मामले (Corona cases in india) सामने आ चुके हैं. इधर दिल्ली सरकार ने कोरोना से होने वाली मौत को कम करने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में अस्पतालों को हालात से निपटने के लिए एडमिशन मैनेजमेंट, क्लीनिकल मैनेजमेंट, क्रिटिकल केयर और हॉस्पिटल मैनेजमेंट के तहत कदम बताए गए हैं. 


 एडमिशन मैनेजमेंट 

  • हॉस्पिटल में एडमिट करते वक्त सबसे ज्यादा प्रायोरिटी हाई रिस्क वाले लोग जैसे वृद्ध, प्रेग्नेंट महिला, बच्चे, पुरानी गंभीर बीमारी वाले मरीज, कैंसर के मरीज, ट्रांसप्लांट वाले मरीज आदि को दी जाए.
  • अस्पताल में डेडीकेटेड वेल ट्रेंड टीम 24 घंटे उपलब्ध होनी चाहिए जो मरीजों को बिना किसी देरी के सही ट्रीटमेंट जोन में पहुंचाए.

 क्लीनिकल मैनेजमेंट 

  • मरीजों के ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल की रियल टाइम मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए। वार्डस में अर्ली वार्निंग स्कोर कार्ड भी जारी किए जा सकते हैं जिससे कि एहतियात बरती जाए. ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल गिरते ही तुरंत कारवाई सुनिश्चित की जाए.
  • कोविड केअर से जुड़े अस्पताल के सभी सभी हेल्थ केअर वर्कर को ओरिएंटेशन ट्रेनिंग दी जाए.
  • पुरानी गंभीर बीमारियों पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए.
  • स्पेशलिस्ट और सीनियर रेजिडेंट नियमित अंतराल पर कोरोना मरीज़ों की क्लीनिकल कंडीशन की करीब से निगरानी करें.
  • एम्स के एक्सपर्ट के साथ जरूरत पड़ने पर टेली कंसल्टेशन की जा सकती है.


 क्रिटिकल केअर 

  • हर नाजुक मरीज के साथ 24 घंटे एक हेल्थ केयर वर्कर लगाया जा सकता है जिससे करीब से निगरानी सुनिश्चित की जा सके. 
  • क्रिटिकल केयर के लिए डॉक्टर, नर्सिंग ऑफिसर और टेक्नीशियन को व्यक्तिगत ट्रेनिंग दी जाए.
  • एक सिंगल कमांड और कंट्रोल स्ट्रक्चर बनाया जा सकता है जिससे अलग-अलग विभागों में कोआर्डिनेशन हो सके.
  • लगातार Renal Replacement Therapy या  Sustained Low Efficiency Dialysis टेक्नीशियन के साथ उपलब्ध हो. क्योंकि ज़्यादातर नाजुक कोरोना ARDS मरीज़ में एक्यूट किडनी इंजरी हो जाती है.

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