कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच लंबे समय में गतिरोध चल रहा है. कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसान संगठनों और सरकार के बीच आज बैठक शुरू हो गई है. कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि वह बैठक में सरकार के सामने नया विकल्प नहीं रखेंगे. दरअसल, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछली बैठक में किसान संगठनों से अनुरोध किया था कि कृषि सुधार कानूनों के संबंध में अपनी मांग के अन्य विकल्प दें, जिस पर सरकार विचार करेगी. हालांकि, किसान नेताओं ने आज वार्ता से पहले कहा कि वह बैठक में सरकार के सामने नया विकल्प नहीं रखेंगे.
किसान नेता हनान मोला ने एनडीटीवी से कहा, "अब सरकार के सामने कोई विकल्प नहीं है. सरकार को तीनों नए कानून वापस लेने होंगे और सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनन गारंटी देनी होगी." उन्होंने कहा कि अभी देश में सिर्फ 6 फ़ीसदी किसानों को एमएसपी की राशि मिलती है जबकि 94 फ़ीसदी किसानों तक एमएसपी का फ़ायदा नहीं पहुंचता.
किसान नेता मोला ने कहा कि इस आंदोलन के दौरान कई किसानों की मौत हो चुकी है, लेकिन सरकार इस मसले को मानवीय तरीके से नहीं सुलझा पा रही है.
वहीं, पंजाब के किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने एनडीटीवी से कहा, "छठे दौर की बैठक में हमने सरकार के सामने कई सबूत और तथ्य पेश किए थे कि नए कानून लागू होने के बाद किसानों के साथ धोखाधड़ी और ठगी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, लेकिन सरकार ने सिर्फ इतना कहा कि इस पर वह बात करेंगे. सरकार आज नए विकल्प की बात कर रही है, लेकिन नए कानून बनाने से पहले किसानों के साथ सरकार ने बातचीत क्यों नहीं की."
सिरसा ने कहा कि अगर सरकार सातवें दौर की बातचीत में कानून वापस लेने का फैसला नहीं करती है तो किसान संगठनों की मंगलवार को बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति फाइनल की जाएगी.
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