"भड़काऊ ": शीर्ष मेडिकल संस्‍था के प्रमुख ने कोविड के असर पर अमेरिकी रिपोर्ट को नकारा

आईसीएमआर के प्रमुख बलराम भार्गव ने भी कहा, 'यह एक भड़काने वाला और जबरन ध्‍यान आकर्षित करने वाला लेख है. इसे तब प्रकाशित किया गया है जब भारत इस दिशा में अच्‍छा कर रहा है.'

सरकार ने कोविड से संबंधित आंकड़ों की मीडिया रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है

नई दिल्‍ली :

केंद्र सरकार ने उस मीडिया रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है जिसमें भारत में कोरोना के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा (COVID-19 data) 43 लाख से 68 लाख के बीच होने का अनुमान लगाया गया था . नीति आयोग (हेल्‍थ) के सदस्‍य वीके पॉल ने इस रिपोर्ट को संदर्भ से बाहर करार दिया.आईसीएमआर के प्रमुख बलराम भार्गव ने भी कहा, 'यह एक भड़काने वाला और जबरन ध्‍यान आकर्षित करने वाला लेख है. इसे तब प्रकाशित किया गया है जब भारत इस दिशा में अच्‍छा कर रहा है. हमारा वैक्‍सीनेशन शानदार है और यह ध्‍यान को हटाने की कोशिश है. जिन मुद्दों को उठाया गया है, वे पहले ही खत्‍म हो चुके हैं और इन पर ध्‍यान देने की जरूरत नहीं है.'  गौरतलब है कि इससे पहले, कांग्रेस (Congress) ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) पर उनके ‘राजनीतिक आकाओं को खुश करने' के लिए कोरोना महामारी से जुड़े तथ्यों को छिपाने का आरोप लगाया था और मांग की थी कि इस मामले में आपराधिक जांच होनी चाहिए. 

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन (Ajay Maken) ने यह भी कहा कि इस जांच के दायरे में आईसीएमआर के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को भी लाया जाना चाहिए. उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘इकोनॉमिस्ट' की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि इस पत्रिका के आकलन के अनुसार, भारत में कोरोना के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा 43 लाख से 68 लाख के बीच हो सकता है. माकन ने यह दावा किया, ‘आईसीएमआर के कुछ प्रमुख वैज्ञानिकों को हटना पड़ा क्योंकि सरकार की ओर से दबाव बनाया जा रहा था. इन लोगों ने जो बातें सामने रखी हैं वो बहुत गंभीर हैं और सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के मौजूदा जज से इसकी जांच कराई जानी चाहिए.'माकन ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा था, ‘इन वैज्ञानिकों ने कहा है कि लॉकडाउन के मामूली असर से जुड़े अध्ययन को दबाव बनाकर वापस करवाया गया. आईसीएमआर पर दबाव बनाकर कहलवाया गया कि भारत में कोविड तेजी से नहीं फैल रहा है. आईसीएमआर के अध्ययन में यह स्पष्ट हो गया था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और ब्लड प्लाज्मा से कोई फायदा नहीं है, लेकिन इस तथ्य को भी छिपाया गया है. इस तरह के तथ्यों को छिपाने का जनता को नुकसान हुआ.'

कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया था, ‘आईसीएमआर अपने काम में विफल रहा. यदि उचित समय पर सही कदम उठाया गया होता तो लाखों लोगों की जान नहीं जाती. प्रधानमंत्री ने इस साल की शुरुआत में कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग जीत ली गई. उस समय के स्वास्थ्य मंत्री (हर्षवर्धन) ने भी कहा कि कोरोना को हरा दिया गया. इस कारण लोगों ने लापरवाही बरती.''माकन ने कहा, ‘‘इन वैज्ञानिकों ने जो कहा है कि उससे लगता है कि इसमें आईसीएमआर की आपराधिक संलिप्तता है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उस समय के स्वास्थ्य मंत्री की भी संलिप्तता है. आईसीएमआर के प्रमुख लोगों, प्रधानमंत्री और उस वक्त के स्वास्थ्य मंत्री के विरूद्ध आपराधिक जांच होनी चाहिए.' 

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