यह ख़बर 13 जून, 2013 को प्रकाशित हुई थी

मंत्रियों के लिए 'आचार नीति संहिता' के पक्ष में है जीओएम

खास बातें

  • मंत्री समूह के मुताबिक इस तरह की संहिता जरूरी है और इससे अफसरशाही और मंत्रियों के बीच और अधिक तटस्थ तथा पारदर्शी कार्य संबंध स्थापित करने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली:

मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) ने मंत्रियों के लिए आचार नीति संहिता तथा सरकारी अधिकारियों के लिए आचरण संहिता बनाने पर विचार किए जाने की सिफारिश की है।

प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) प्रशासनिक सेवाओं की राजनीतिक तटस्थता तथा निष्पक्षता को संरक्षित करने के बारे में पहले ही सुझाव दे चुका है। रक्षामंत्री एके एंटनी की अगुवाई वाले मंत्री समूह की मंगलवार को हुई बैठक में एआरसी की 10वीं रिपोर्ट की सिफारिशों पर विचार किया गया।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मंत्री समूह ने प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग से अगली बैठक से पहले इस बारे में अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने को कहा है। बैठक में शामिल मंत्री समूह के सदस्यों ने कहा कि इस तरह की संहिता जरूरी है और इससे अफसरशाही और मंत्रियों के बीच और अधिक तटस्थ तथा पारदर्शी कार्य संबंध स्थापित करने में मदद मिलेगी।

एआरसी ने अपनी सिफारिशों में कहा है, सिविल सेवाओं में राजनीतिक तटस्थता तथा निष्पक्षता को कायम रखना जरूरी है। इसकी जिम्मेदारी मंत्रियों तथा अधिकारियों दोनों की है। मंत्रियों और सरकारी कर्मचारियों के लिए आचरण संहिता में इस पहलू को शामिल किया जाना चाहिए।

यहां उल्लेखनीय है कि इससे पहले सरकार इसी बारे में एआरसी द्वारा 'संचालन में नैतिकता' शीर्षक से चौथी रिपोर्ट में इस तरह की सिफारिश को खारिज कर चुकी है। चौथी रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि मंत्रियों के लिए मौजूदा आचरण संहिता के अलावा इसमें यह भी निर्देशन दिया जाना चाहिए कि मंत्री किस तरह अपने कामकाज में संवैधानिक और नैतिकता के व्यवहार के ऊंचे मापदंड का पालन कर सकते हैं।

इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय तथा मुख्यमंत्रियों के कार्यालयों में आचार संहिता के अनुपालन के मामले में मंत्रियों पर की निगरानी के लिए विशेष प्रकोष्ठ के गठन का भी सुझाव दिया गया था। उस समय एआरसी की सिफारिशों को खारिज करते हुए सरकार ने कहा था इस विषय पर गठित अधिकार प्राप्त समिति ने विचार किया था और पाया गया कि नैतिक आसार संहिता की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि पहले ही एक आचार संहिता लागू है।

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एआरसी की 10वीं रिपोर्ट पर कृषिमंत्री शरद पवार, वित्तमंत्री पी चिदंबरम, गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली वाले मंत्री समूह ने विचार किया। समूह के अन्य सदस्यों में शहरी विकास मंत्री कमलनाथ, संचार एवं आईटी मंत्री कपिल सिब्बल, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री सीपी जोशी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कुमारी शैलजा, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री वी नारायणसामी हैं।