वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने अपनी ताज़ा ग्लोबल इकनोमिक प्रॉस्पेक्ट रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना संकट की वजह से 2020 में अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था 5.2 % तक सिकुड़ सकती है. भारत का इकनोमिक आउटपुट भी 3.2% तक सिकुड़ सकता है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे गंभीर आर्थिक मंदी की तरफ बढ़ रही है. दुनिया की अर्थव्यवस्था भारी संकट में है, वाशिंगटन में जारी वर्ल्ड बैंक की ताज़ा ग्लोबल इकनोमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट ये बहुत साफ़ इशारा करती है. रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था इस साल 5.2% सिकुड़ जाएगी, ये दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी आर्थिक मंदी हो सकती है, 2020/21 में भारत का इकनोमिक आउटपुट 3.2 % तक सिकुड़ने का अंदेशा है. इसे असली जीडीपी कहते हैं. ऐसा अनुमान है कि आर्थिक प्रोत्साहन के बावजूद कोरोना को फैलने से रोकने के लिए उठाये गए सख्त क़दमों से आर्थिक गतिविधि घटेगी.
इंडियन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने एनडीटीवी से कहा, "अगर वर्ल्ड इकॉनमी 5.2 % गिरती है तो इसका भारत पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा. भारत की जीडीपी 3.2 % तक सिकुड़ जाएगी. ऐसे में भारत सरकार को गरीब लोगों के हाथ में पैसा देना होगा जिससे उपभोग बढे. सरकार को इसके लिए विनिवेश दे पैसे जुटाने होंगे, खर्च कम करना होगा और लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा देना होगा."
मंगलवार को वित्त मंत्री ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये सभी पब्लिक सेक्टर बैंकों के मैनेजिंग डाइरेक्टरों के साथ आत्म-निर्भर भारत अभियान के तहत छोटे-लघु उद्योगों को लोन सैंक्शन की समीक्षा की. 8 जून, 2020 तक पब्लिक सेक्टर बैंकों ने 12 राज्यों के MSME हब्स में 1109.03 करोड़ रुपये तक के लोन सैंक्शन किए हैं. इनमे से 599.12 करोड़ 17904 इकाइयों के बैंक खातों में जा चुके हैं. छोटे-लघु उद्योग संघ का मानना है कि सरकार ने 3 लाख करोड़ का जो राहत पैकेज दिया है उसे लागू करने में बैंक देरी कर रहे हैं.
छोटे-लघु उद्योग संघ के सेक्रेटरी जनरल अनिल भारद्वाज ने एनडीटीवी से कहा, "सरकार ने जो राहत पैकेज MSME को दिया है उनका ग्राउंड पर इम्पैक्ट पर दिखना जरूरी होगा. अभी तक 15 % से 20% MSME ही प्रोडक्शन शुरू कर पाए हैं. अब भी कहीं कैश की कमी है, कहीं वर्कर्स का संकट है तो कहीं ट्रांसपोर्ट का. 3 लाख के पैकेज मैं बैंक बहुत सारी शर्तों को रख रही हैं. इससे लोन के सैंक्शन में देरी हो रही है."
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