
नई दिल्ली:
दिल्ली गैंगरेप मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आज फिर पुलिस को फटकार लगाई है। दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फिर पूछा कि इस मामले में दो एसीपी ही सस्पेंड क्यों हुए, बड़े अफसरों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि दिल्ली की सड़कों पर ज्यादा से ज्यादा पीसीआर वैन तैनात रहें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार पीसीआर वैन की संख्या बढ़ाने के बारे में सोचे। दिल्ली में अभी 617 पीसीआर वैन हैं, जिनमें से 74 सड़कों पर नहीं हैं। कोर्ट ने गाड़ियों के शीशों पर लगी काली फिल्में उतारने के आदेश दिए हैं।
बुधवार को भी मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस को हाइकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई थी। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा था कि वारदात के लिए पुलिस कमिश्नर को क्यों न जिम्मेदार ठहराया जाए? कोर्ट ने पूछा कि क्या ट्रैफिक के ज्वाइंट कमिश्नर की जिम्मेदारी नहीं बनती?
दिल्ली पुलिस के कलेजे पर हथौड़े की तरह चोट करते ये सवाल किसी और ने नहीं, बल्कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उठाए, जो गैंगरेप मामले में संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट की एक तरह से पोस्टमार्टम करते हुए इस बार भी कई कड़े सवाल पूछे थे।
कोर्ट ने पूछा कि आदेश के बावजूद घटना वाले दिन ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों की लिस्ट क्यों नहीं दी गई? पहले पुलिस ने इलाके में तीन पीसीआर वैन की बात कही थी, लेकिन अब वह दो कैसे हो गई? पीसीआर के सिर्फ एसीपी ही सस्पेंड क्यों हुए, डीसीपी या कमिश्नर पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? पर्दे लगे और काले शीशे वाली बस दिल्ली की सड़कों पर कैसे दौड़ती रही? ऐसे में सिर्फ एरिया ट्रैफिक एसीपी ही जिम्मेदार क्यों, डीसीपी या फिर ट्रैफिक हेड यानी ज्वाइंट कमिश्नर पर कार्रवाई क्यों नहीं? हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अगर कानून-व्यवस्था को लागू करने वाली एजेंसियां सतर्क होतीं, तो उस रात हुई वारदात टाली जा सकती थी।
साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि दिल्ली की सड़कों पर ज्यादा से ज्यादा पीसीआर वैन तैनात रहें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार पीसीआर वैन की संख्या बढ़ाने के बारे में सोचे। दिल्ली में अभी 617 पीसीआर वैन हैं, जिनमें से 74 सड़कों पर नहीं हैं। कोर्ट ने गाड़ियों के शीशों पर लगी काली फिल्में उतारने के आदेश दिए हैं।
बुधवार को भी मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस को हाइकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई थी। पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा था कि वारदात के लिए पुलिस कमिश्नर को क्यों न जिम्मेदार ठहराया जाए? कोर्ट ने पूछा कि क्या ट्रैफिक के ज्वाइंट कमिश्नर की जिम्मेदारी नहीं बनती?
दिल्ली पुलिस के कलेजे पर हथौड़े की तरह चोट करते ये सवाल किसी और ने नहीं, बल्कि दिल्ली हाईकोर्ट ने उठाए, जो गैंगरेप मामले में संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट की एक तरह से पोस्टमार्टम करते हुए इस बार भी कई कड़े सवाल पूछे थे।
कोर्ट ने पूछा कि आदेश के बावजूद घटना वाले दिन ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों की लिस्ट क्यों नहीं दी गई? पहले पुलिस ने इलाके में तीन पीसीआर वैन की बात कही थी, लेकिन अब वह दो कैसे हो गई? पीसीआर के सिर्फ एसीपी ही सस्पेंड क्यों हुए, डीसीपी या कमिश्नर पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? पर्दे लगे और काले शीशे वाली बस दिल्ली की सड़कों पर कैसे दौड़ती रही? ऐसे में सिर्फ एरिया ट्रैफिक एसीपी ही जिम्मेदार क्यों, डीसीपी या फिर ट्रैफिक हेड यानी ज्वाइंट कमिश्नर पर कार्रवाई क्यों नहीं? हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अगर कानून-व्यवस्था को लागू करने वाली एजेंसियां सतर्क होतीं, तो उस रात हुई वारदात टाली जा सकती थी।
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