नई दिल्ली : राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यान यवेस ली द्रियान ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से मुलाकात की। हालांकि मुलाकात के बाद दोनों पक्षों ने चुप्पी साध ली है। कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक फ्रांस विमानों का ये सौदा किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहता है क्योंकि 126 विमानों के लिए सारी प्रकिया पूरी हो चुकी है, बस अब सरकार के स्तर पर निणार्यक फैसला लेना है। भारत चाहता है कि एक तो फ्रांस अपने विमानों की कीमत कम करे और पूरी तरह तकनीक का ट्रांसफर करे।
इतना ही नहीं, जो 108 विमान हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड बनाएगा उसकी भी गारंटी फ्रांस ले। मसलन विमानों की आपूर्ति समय पर हो। इस मामले में फ्रांस का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। नौसेना के लिए फ्रांस से ली गई तकनीक पर बनने वाली स्कार्पीन पनडुब्बी अभी तक नहीं मिल पाई है। तय वक्त के मुताबिक पहली पनडुब्बी 2014 में मिलनी थी, अब ये 2016 में ही जाकर मिल पाएगी।
वैसे ये मूल सौदा 45 हजार करोड़ के करीब था लेकिन खबर ये है ये सौदा एक लाख करोड़ के आसपास पहुंच सकता है, यानी हमारे रक्षा बजट की आधी रकम। फ्रांस भारत को एक विमान करीब एक हजार करोड़ में दे रहा है जो सौदे की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है।
अब भारत की कोशिश फ्रांस को अपनी शर्तों के आगे झुकाने की है क्योंकि फ्रांस को भी ये बात अच्छी तरह पता है अगर उनके हाथ से ये सौदा निकल गया तो कंपनी को ताला लगने में देर नहीं लगेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अप्रैल में फ्रांस जाना है, ऐसे में दोनों पक्षों की कोशिश कुछ बीच का रास्ता निकालने की है पर ये आसान नहीं है।
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