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This Article is From Mar 27, 2015

देश के शीर्ष सम्मान 'भारत रत्न' से नवाज़े गए पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी

नई दिल्ली:

करिश्माई नेता, ओजस्वी वक्ता, प्रखर कवि और विरोधियों में भी सम्मान के पात्र रहे राजनेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को आज देश के शीर्ष नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रोटोकोल को एक तरफ कर इन दिनों बीमार चल रहे वाजपेयी के कृष्ण मेनन मार्ग स्थित निवास पर खुद जाकर उन्हें इस पुरस्कार से नवाज़ा।  इस मौके पर वाजपेयी के कुछ नजदीकी संबंधी, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी संक्षिप्त विज्ञप्ति में वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई।

राष्ट्रपति द्वारा वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री के निवास के लॉन में चाय पार्टी का आयोजन हुआ, जिसमें अन्य लोगों के अलावा कुछ केंद्रीय मंत्रियों और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद सहित कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए।

प्रधानमंत्री मोदी ने वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर खुशी जताते हुए कहा वह एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र को सपर्पित कर दिया। उन्होंने कहा, 'अटल बिहारी वाजपेयी भारत माता के ऐसे प्रिय सपूत जिन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। आज हमें उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य मिला।'

पीएम मोदी ने कहा, 'अटलजी का जीवन राष्ट्र को समर्पित था, वह देश के लिए जिए और हर पल देश बारे में सोचा। भारत में मेरे जैसे करोड़ों कार्यकर्ता हैं, जिनका जीवन वाजपेयीजी से प्रेरित है।'

वाजपेयी को उनके जन्मदिन से एक दिन पहले 24 दिसंबर को भारत रत्न देने संबंधी निर्णय का ऐलान किया गया था। वाजपेयी बीते साल 25 दिसंबर को 90 साल के हो गए हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री के साथ ही प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं स्वतंत्रता सेनानी महामना मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) को भी भारत रत्न देने की घोषणा 24 दिसंबर को ही की गई थी। इत्तेफाक की बात है कि वाजपेयी और मालवीय दोनों का जन्मदिन 25 दिसंबर है। वाजपेयी का जन्म इस तारीख को 1924 में और मालवीय का जन्म 1861 को हुआ था। महामना का पुरस्कार 30 मार्च को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में उनके परिजनों को दिया जाएगा।

ग्वालियर में जन्मे वाजपेयी पहले जनसंघ फिर बीजेपी के संस्थापक अध्यक्ष रहे। वह तीन बार प्रधानमंत्री बने। उनकी पहली सरकार 1996 में मई में बनी जो मात्र 13 दिन चली। दूसरी सरकार मार्च 1998 में बनी जो 13 महीने रही और उसके बाद उनकी तीसरी सरकार ने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया। वह देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने, जिनका कांग्रेस से कभी नाता नहीं रहा। साथ ही वह कांग्रेस के अलावा के किसी अन्य दल के ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से गहरे से जुड़े होने के बावजूद वाजपेयी की एक धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी छवि है। उनकी लोकप्रियता भी दलगत सीमाओं से परे है।

करिश्माई नेता, ओजस्वी वक्ता और प्रखर कवि के रूप में प्रख्यात वाजपेयी को साहसिक पहल करने के लिए भी जाना जाता है जिसमें प्रधानमंत्री के रूप में उनकी 1999 की ऐतिहासिक लाहौर बस यात्रा शामिल है, जब पाकिस्तान जाकर उन्होंने वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए।

वाजपेयी और महामना भारत रत्न से नवाजे जाने वाली 44वीं व 45वीं हस्ती हैं। वाजपेयी उम्र से जुड़ी बीमारियों के चलते इन दिनों सार्वजनिक जीवन से दूर हैं।

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और अब वाजपेयी ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें उनके जीवनकाल में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इनमें नेहरू और इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री रहते ही इस पुरस्कार से नवाजा गया था।

वाजपेयी के निवास से बाहर आने पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री को यह सम्मान दिया जाना एक 'शक्तिशाली राष्ट्रवादी नेता' के रूप में देश के लिए उनकी सेवाओं को मान्यता देना है। उन्होंने कहा कि वह केवल अपनी ही पार्टी के नहीं बल्कि पूरे देश के नेता हैं। वह भारत नहीं बल्कि पूरे विश्व के नेता हैं। 'यह हम सबके लिए खुशी का अवसर है।' उन्होंने बताया कि वाजपेयी के निवास पर आज आयोजित यह समारोह राष्ट्रपति भवन की ओर से किया गया। बीमार होने की वजह से वाजपेयी राष्ट्रपति भवन नहीं जा सकते थे।

इस मौके पर वाजपेयी के निवास पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू, जदयू अध्यक्ष शरद यादव आदि मौजूद थे।

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