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This Article is From Dec 24, 2013

पूर्व लॉ इंटर्न ने जस्टिस गांगुली के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराने के संकेत दिए

जस्टिस गांगुली का फाइल फोटो

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पूर्व लॉ इंटर्न ने आरोपों से इनकार करने पर न्यायाधीश गांगुली की कड़ी आलोचना करते हुए संकेत दिए हैं कि वह उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकती है।

पूर्व लॉ इंटर्न ने अपने ब्लॉग लीगली इंडिया पर लिखा है, जो लोग अफवाहें फैला रहे हैं और मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, वे पूर्वाग्रह के कारण ऐसा कर रहे हैं ताकि मुद्दे को उलझाया जा सके और वे जांच और जवाबदेही से बच निकलें। उसकी यह टिप्पणी न्यायाधीश गांगुली द्वारा भारत के प्रधान न्यायाधीश पी सतशिवम को लिखे आठ पन्नों के पत्र के बाद आई है, जिसमें उन्होंने इंटर्न का यौन उत्पीड़न करने के आरोपों से इनकार किया था और आरोप लगाया था कि कुछ ‘शक्तिशाली तबकों’ के खिलाफ दिए गए उनके फैसलों के कारण उनकी छवि खराब करने के लिए यह सब किया जा रहा है।

पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का संकेत देते हुए पूर्व लॉ इंटर्न ने लिखा है, मैं अपील करती हूं कि इस बात का संज्ञान लिया जाए कि यह मेरे विवेकाधीन है कि मैं उचित समय पर उचित कार्यवाही को आगे बढ़ा सकती हूं। मैं कहना चाहती हूं कि मेरी स्वायत्तता का पूरी तरह सम्मान किया जाए। इंटर्न ने कहा कि जो भी यह दावा कर रहा है कि मेरे बयान गलत हैं, वह न केवल मेरी बेइज्जती कर रहा है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का भी असम्मान कर रहा है।

उसने लिखा है, मैं कहना चाहूंगी कि मैंने पूरे मामले में, इस स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, बेहद जिम्मेदारी के साथ काम किया है।

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय समिति ने न्यायाधीश गांगुली के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की है और कहा है कि पीड़िता का लिखित और मौखिक बयान प्रथम दृष्टया खुलासा करता है कि पिछले वर्ष 24 दिसंबर को लॉ मैरिडियन होटल के कमरे में न्यायाधीश ने उसके साथ ‘यौन प्रकृति का अस्वागतयोग्य व्यवहार’ किया था। न्यायाधीश गांगुली के पत्र को खारिज करते हुए इंटर्न ने कहा है कि घटना के बाद जब वह कोलकाता में अपने कालेज लौटी तो उसने अलग-अलग समय पर अपने कुछ फैकल्टी से बातचीत की।

उसने लिखा है, चूंकि घटना इंटर्नशिप के समय हुई थी और विश्वविद्यालय की इंटर्नशिप के दौरान महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ कोई नीति नहीं है तो मुझे संकेत दिया गया कि कोई भी कार्रवाई निष्प्रभावी होगी। उसने लिखा, मुझे यह भी सूचित किया गया कि मेरे पास केवल एक ही रास्ता है कि पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जाए जो मैं करना नहीं चाहती थी।

बहरहाल, मैं महसूस कर रही थी कि युवा विधि छात्रों को सतर्क करना महत्वपूर्ण है कि दर्जा और स्थिति को नैतिकता और गरिमा के मापदंडों के साथ भ्रमित नहीं किया जाए। इसलिए मैंने ब्लॉग पोस्ट के जरिये ऐसा करने का रास्ता चुना। पूर्व लॉ इंटर्न ने कहा है कि न्यायाधीश गांगुली के खिलाफ आरोपों की जांच करने वाली तीन जजों की समिति के समक्ष गवाही के दौरान उसने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कार्यवाही की गोपनीयता और इस मामले में शामिल हर किसी की निजता सुनिश्चित किए जाने की अपील की थी। उसने लिखा है, मैंने तीन सदस्यीय जजों की समिति की नीयत और क्षेत्राधिकार पर किसी भी समय सवाल नहीं उठाया और पूरा विश्वास था कि वे मेरे बयानों की सच्चाई को मानेंगे।

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