नगालैंड में आर्मी फायरिंग में आम नागरिकों की मौत के मामले में जांच चल रही है. जिस समय फायरिंग हुई वहां मौजूद आर्मी के एक पूर्व जवान ने उस दिन का आंखों देखा हाल सुनाया. पूर्व जवान चोंगमेई कोन्याक ने कहा, "गोलियां हर तरफ से आ रही थीं, सिर्फ उन जवानों की तरफ से ही नहीं, जो भाग रहे थे.'' कोन्याक ने भारतीय सेना के जवान के रूप में ट्रेनिंग लेने के दौरान भी इस तरह का मंजर देखा था. वह फायरिंग में घायल हैं और अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है.
क्रॉस फायर के बीच फंसे कोन्याक ने खुद को बचने के प्रयास किए. उन्होंने कहा, "खुद को बचाने के लिए मैं नाले की ओर लुढ़क गया."
कुछ ही मीटर की दूरी पर, गुस्साए ग्रामीणों से घिरने के बाद 21 पैरा स्पेशल फोर्स के जवान खुलेआम फायरिंग कर रहे थे. ग्रामीण ओटिंग में 6 लोगों की मौत से नाराज थे. इनमें से ज्यादातर पास की कोयला खदान में काम करते थे.
कुछ ही घंटे पहले, जवानों की इसी यूनिट ने उग्रवादियों के धोखे एक पिकअप ट्रक को निशाना बनाया था. हालांकि, वे (ट्रक में सवार लोग) सभी निर्दोष गांववाले थे, जो पास की खदान में काम करते थे.
हालात और तनावपूर्ण होने पर दर्जनों ग्रामीणों ने धारदार हथियार से सेना के जवानों पर हमला कर दिया. एक जवान की मौत हो गई. अन्य जवानों ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की. हो सकता है, इसमें उन्हें अन्य जवानों से मदद मिली हो, जो कि घटना के आसपास के क्षेत्र में गुप्त जगहों पर बैठे हुए थे.
उन्होंने कहा, "मैं सेना में ट्रेंड हुआ हूं. इसलिए उस अराजकता में भी, मैं यह पता लगा सकता था कि गोलियां कहां से आ रही थीं." उन्होंने 2012 में आर्मी छोड़ दी थी. वह आर्मी सर्विस कॉर्प्स में कमीशंड थे और 15 सालों तक वर्दी पहनी.
सेना के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि वे अपनी जांच में सभी एंगल पर गौर कर रहे हैं, जिसमें यह दावा भी शामिल है कि टकराव वाली जगह से हटकर भी गोलियां चल रही थीं.'' उन्होंने कहा, "इस तरह के किसी भी आरोप को भी कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के दायरे में लाया जाएगा.''
एनडीटीवी ने सवालों के साथ नगालैंड सरकार से भी संपर्क किया है. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
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फिलहाल, कोन्याक अस्पताल में हैं और भिड़त में मिले गोली के घाव से उबर रहे हैं. आर्मी के विशेष बलों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली इजरायल निर्मित ऑटोमैटिक राइफल Tavor से गोली लगने से उनकी बाईं एड़ी के पास एक छेद हो गया है.
उन्होंने कहा, "मैंने महसूस किया कि जंगलों से भी गोलियां आ रही थीं. पैरा स्पेशल फोर्स के जवान, जिनके पास नाइट विजन डिवाइस थे, वे फायरिंग कर रहे थे. हम उन्हें देख नहीं सकते थे, लेकिन उन्होंने (जवानों ने) स्पष्ट रूप से देखा कि क्या हो रहा था."
कोन्याक के बयान नागालैंड में त्रासदी की जांच कर रही एसआईटी द्वारा एकत्र किए जा रहे सबूतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. पुलिस महानिरीक्षक लिमासुनुप जमीर की अध्यक्षता वाली एसआईटी हत्या और हत्या के प्रयास के आरोपों की जांच कर रही है, जिसमें 5 दिसंबर को सेना के जवानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
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नगालैंड सरकार के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मोन जिले में सुरक्षा बलों की गोलीबारी से हुई नागरिकों की मौत के सिलसिले में बृहस्पतिवार को भारतीय सेना के 21पारा स्पेशल फोर्स के कर्मियों से पूछताछ की.
भारतीय सेना के एक दल ने बुधवार को घटनास्थल का दौरा किया और आवश्यक जानकारी एकत्र की. सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि मेजर जनरल के नेतृत्व में उसके ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी' दल ने उन परिस्थितियों को समझने के लिए मौके का मुआयना किया जिनमें घटना हो सकती थी. सेना ने कहा कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी तेजी से आगे बढ़ रही है और इसे जल्द से जल्द खत्म करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं.
कोन्याक के लिए, उन्होंने जो देखा उस पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं. "मैंने सोचा था कि ये आर्मी और उग्रवादियों के बीच गोलीबारी थी. मैंने कभी एक पल के लिए भी नहीं सोचा था कि वे निर्दोष लोगों की हत्या कर रहे हैं. मैं सपने में भी कभी नहीं सोच सकता कि भारतीय सेना ऐसा कर सकती है."
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