भारी विरोध के बीच नगालैंड में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (AFSPA) को छह महीनों के लिए और बढ़ा दिया गया है. यह कानून सुरक्षाबलों को व्यापक अधिकार देता है. AFSPA की मियाद को ऐसे समय बढ़ाया गया है जब 4 दिसंबर को उग्रवाद विरोध अभियान के दौरान 'गलती' से आम नागरिकों की मौत के मामले में आर्मी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी कर रही है.
सशस्त्र बल (विशेष) अधिकार अधिनियम या AFSPA सेना को उन क्षेत्रों में कहीं भी स्वतंत्र रूप से ऑपरेशन करने के लिए व्यापक अधिकार शक्ति देता है जिन्हें "अशांत क्षेत्र" घोषित किया गया है. जिस क्षेत्र में AFSPA लागू है, वहां किसी भी सैन्यकर्मी पर केंद्र की मंजूरी के बिना मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.
बता दें कि नगालैंड के मोन जिले में 4 दिसंबर को उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान ‘गड़बड़ी' हो गई और आर्मी के पैरा स्पेशल फोर्सेज के जवानों की गोलाबारी में खदान से काम करके लौट रहे 13 आम नागरिकों की मौत हो गई. जवाब में ग्रामीणों ने हमला किया, जिसे एक जवान की मौत हुई.
नागरिकों की मौत के बाद अफस्पा कानून को वापस लेने की मांग जोर पकड़ रही है. अफस्पा को वापस लेने के लिए नगालैंड की राजधानी कोहिमा समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन भी हुए. इसमें AFSPA को बैन करने की मांग की गई.
आम लोगों की मौत के बाद बढ़ते तनाव को कम करने के मकसद से केंद्र ने अफस्पा को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा क्रमशः नगालैंड और असम के मुख्यमंत्रियों नेफ्यू रियो और हिमंत बिस्वा सरमा के साथ बैठक करने के बाद समिति का गठन किया गया.
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक, गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नगालैंड राज्य का क्षेत्र इतनी अशांत और खतरनाक स्थिति में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है.''
अधिसूचना के अनुसार, ‘‘इसलिए सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (1958 की संख्या 28) की धारा तीन द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 30 दिसंबर, 2021 से छह महीने की अवधि के लिए पूरे नगालैंड राज्य को ‘अशांत क्षेत्र' घोषित करती है.''
वीडियो: नगालैंड में AFSPA पर खड़े हुए सवाल, 14 ग्रामीणों की मौत पर तनाव