यह ख़बर 03 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी सतशिवम को केरल का नया राज्यपाल बनाया गया

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पी सतशिवम को बुधवार को केरल का नया राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया। वह शीला दीक्षित का स्थान लेंगे, जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दीक्षित का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि सतशिवम पदभार ग्रहण करने की तिथि से राज्यपाल होंगे।

वहीं, कांग्रेस ने बुधवार को पूर्व प्रधान न्यायाधीश पी सतशिवम को केरल का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के सरकार के प्रयासों पर पार्टी नेता मनीष तिवारी द्वारा की गई टिप्पणियों से किनारा कर लिया और कहा कि वह उनसे पार्टी लाइन का अनुसरण करने की उम्मीद करती है।

कांग्रेस ने कल सतशिवम को राज्यपाल बनाये जाने के प्रयास की आलोचना की थी। हालांकि मनीष तिवारी ने आज कहा कि भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश पर राज्यपाल का पद स्वीकार करने में कोई संवैधानिक या कानूनी बंधन नहीं है।

तिवारी ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए कहा कि 90 के दशक की शुरुआत में कांग्रेस पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंगनाथ मिश्र को ओडिशा से राज्यसभा में लेकर आई थी।

कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने तिवारी की टिप्पणियों पर अप्रसन्नता जताते हुए कहा कि ये उनके निजी विचार हैं।

उनसे पूछा गया था कि क्या कांग्रेस पार्टी में अराजकता या स्पष्टता का अभाव है। ओझा ने कहा, 'कोई अराजकता नहीं है। कांग्रेस में पूरी स्पष्टता है। जब प्रवक्ता कुछ कहता है या बोलता है तो वही पार्टी की अधिकृत लाइन है। हमने यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश को राज्यपाल नियुक्त किए जाने के सरकार के प्रयास पर आनंद शर्मा ने जो कुछ कहा है वह पार्टी की अधिकृत लाइन है। और कोई दूसरा व्यक्ति विभिन्न मुद्दे पर जो बोल रहा है वह उनके निजी विचार हैं।

ओझा ने इस बात पर जोर दिया कि तिवारी प्रवक्ता नहीं हैं, बल्कि सिर्फ एक पैनलिस्ट हैं और उन्हें पार्टी लाइन का अनुसरण करना है। ओझा के बचाव में उतरे एआईसीसी के सचिव टाम वडक्कन ने कहा कि एक पैनलिस्ट की ड्यूटी टीवी चैनलों में जाना और चर्चाओं में हिस्सा लेना है। चर्चा के लिए उन्हें एक अधिकृत लाइन दी जाती है। प्रवक्ता कांग्रेस पार्टी की आवाज हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, ओझा ने कहा कि यह पार्टी का आंतरिक मामला है जिसे देखा जाएगा।

पार्टी नेताओं की बयानबाजी का यह ताजा मामला है जहां पार्टी को अपने वरिष्ठ नेताओं की टिप्पणियों से किनारा करना पड़ा है। इससे पहले पार्टी जनार्दन द्विवेदी और दिग्विजय सिंह द्वारा अलग-अलग मुद्दों पर की गई टिप्पणियों से किनारा कर चुकी है।

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ओझा ने सतशिवम को राज्यपाल बनाये जाने के प्रयास के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा और न्यायाधीशों को रिटायरमेंट के बाद पद सौंपे जाने के खिलाफ अरूण जेटली और नितिन गडकरी के 2012 में दिए गए बयानों का उल्लेख किया।