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This Article is From Jan 26, 2017

कहां हुआ था देश की पहली गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन? आइए जानें...

कहां हुआ था देश की पहली गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन? आइए जानें...
1955 में पहली बार राजपथ पर परेड का आयोजन हुआ.(फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: आमतौर पर यदि पूछा जाए कि देश की राजधानी दिल्‍ली में सबसे पहली गणतंत्र दिवस परेड कहां हुई थी तो संभवतया ज्‍यादातर लोग यही कहेंगे कि ऐसा राजपथ में हुआ था. लेकिन यह सही जवाब नहीं है. दरअसल 26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड राजपथ के बजाय तत्‍कालीन इर्विन स्‍टेडियम (अब नेशनल स्‍टेडियम) में हुई थी. उस वक्‍त इर्विन स्‍टेडियम के चारों तरफ चारदीवारी नहीं थी और उसके पीछे लाल किला साफ नजर आता था. उसके बाद से 1954 तक दिल्‍ली में गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्‍टेडियम के अलावा, किंग्‍सवे कैंप, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित हुआ. उसके बाद 1955 में पहली बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन हुआ. उसके बाद से यहीं पर परेड होने का सिलसिला बदस्‍तूर जारी है.

अब यह परेड आठ किमी की होती है और इसकी शुरुआत रायसीना हिल से होती है. उसके बाद राजपथ, इंडिया गेट से होते हुए ये लाल किला पर समाप्‍त होती है.

आजादी के दौर से ही 26 जनवरी का खासा महत्‍व रहा है. इसी दिन 1929 में लाहौर में रावी नदी के तट पर कांग्रेस के अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्‍यक्षता में प्रस्‍ताव पारित हुआ था कि अगर एक साल के भीतर यानी 26 जनवरी, 1930 को भारत को डोमिनियिन स्‍टेटस का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत को पूर्ण रूप से स्‍वतंत्र देश घोषित कर दिया जाएगा.
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26 जनवरी 1950 को देश गणतंत्र बना | सब जानते हैं, मगर कितने बजे?
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अंग्रेजों ने जब इस ओर बिल्‍कुल ध्‍यान नहीं दिया तो कांग्रेस ने 31 दिसंबर, 1929 की रात को भारत की पूर्ण स्‍वतंत्रता के निश्‍चय की घोषणा करते हुए सक्रिय आंदोलन शुरू किया. इसके तहत 26 जनवरी के दिन पूर्ण स्‍वराज दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. उसके बाद कांग्रेस लगातार आजादी मिलने से पहले तक 26 जनवरी को ही स्‍वतंत्रता दिवस के रूप में मनाती रही.अब यह परेड आठ किमी की होती है और इसकी शुरुआत रायसीना हिल से होती है. उसके बाद राजपथ, इंडिया गेट से होते हुए ये लाल किला पर समाप्‍त होती है.

आजादी के दौर से ही 26 जनवरी का खासा महत्‍व रहा है. इसी दिन 1929 में लाहौर में रावी नदी के तट पर कांग्रेस के अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्‍यक्षता में प्रस्‍ताव पारित हुआ था कि अगर एक साल के भीतर यानी 26 जनवरी, 1930 को भारत को डोमिनियिन स्‍टेटस का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत को पूर्ण रूप से स्‍वतंत्र देश घोषित कर दिया जाएगा.

अंग्रेजों ने जब इस ओर बिल्‍कुल ध्‍यान नहीं दिया तो कांग्रेस ने 31 दिसंबर, 1929 की रात को भारत की पूर्ण स्‍वतंत्रता के निश्‍चय की घोषणा करते हुए सक्रिय आंदोलन शुरू किया. इसके तहत 26 जनवरी के दिन पूर्ण स्‍वराज दिवस मनाने का निर्णय लिया गया. उसके बाद कांग्रेस लगातार आजादी मिलने से पहले तक 26 जनवरी को ही स्‍वतंत्रता दिवस के रूप में मनाती रही.

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