नई दिल्ली:
रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अरुण जेटली ने कहा कि केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के गिने-चुने दिन बचे हैं। लोकसभा में पर्याप्त संख्या बल जुटाने के लिए वह दूसरी पार्टियों पर निर्भर थी। सदन में उसने जिस तरह जीत हासिल की, उसकी बड़ी कीमत उसे चुकानी पड़ेगी।
जेटली ने कहा, सरकार लोकसभा में 272 के आंकड़े तक पहुंच नहीं पाई। 254 के आंकड़े को सरकार जीत के रूप में नहीं देख सकती। जब आपके पास बहुमत से 18 कम संख्या है तो आप सरकार नहीं चला सकते। लोकसभा के आंकड़ों को देखते हुए लगता है कि सरकार के दिन लद गए हैं। वह जल्द ही जाने वाली है।
उन्होंने कहा कि सरकार अन्य दलों पर निर्भर थी और इसकी उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा, यह महंगा समर्थन था। आपको (सरकार) हर दिन इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। हम देखेंगे कि आने वाले दिनों में यह समर्थन किस प्रकार देश के प्रशासन को प्रभावित करता है।
जेटली ने कहा कि भाजपा एफडीआई के खिलाफ नहीं है। मुद्दा यह है कि इसकी अनुमति किस क्षेत्र में दी जाए। उन्होंने कहा, क्या कुछ पश्चिमी देश भारत में आर्थिक नीतियों का मानदंड तय करेंगे? हम एफडीआई के खिलाफ कभी नहीं रहे। लेकिन यह किस क्षेत्र में होना चाहिए, इसे सावधानीपूर्वक देखने की जरूरत है। देश को सभी क्षेत्रों में एफडीआई से होने वाले नुकसान एवं फायदे के आधार पर यह निर्णय लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 18 से 20 करोड़ लोग खुदरा कारोबार पर निर्भर हैं। सो, वालमार्ट कहीं से भी इन लोगों के लिए सही नहीं होगा। निर्माण क्षेत्र में इससे नौकरियों को नुकसान होगा।
उन्होंने आगे कहा, हर बदलाव सुधार नहीं होता। अब दुनिया को सुधार की परिभाषा बतलाने का वक्त आ गया है। सरकार ने नीतियां बनाई हैं, लेकिन फिर भी सुधार नहीं हुए। उन्होंने कहा कि मैं कपिल सिब्बल को चुनौती देता हूं कि वह अपने संसदीय क्षेत्र चांदनी चौक में विदेशी रिटेल स्टोर खुलवाकर दिखाएं।
अरुण ने कहा कि एफडीआई के सबसे बड़े पैरोकार शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने महाराष्ट्र में कह दिया है कि वह अभी राज्य में इसे लागू नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि रिटेल में एफडीआई से विदेशी समान भारत के स्टोर में बिकेगा, जो कि देश के बिलकुल अच्छा नहीं है।
उन्होंने उदाहरण दिया कि दो साल पहले वॉलमार्ट का टर्नओवर साढ़े 21 लाख करोड़ था और भारत का टोटल रिटेल बाजार साढ़े दस लाख करोड़ का है। यानी भारत के बाजार से उसका टर्नओवर दोगुना है।
अरुण ने कहा कि हमेशा दलील दी जाती है कि इससे बिचौलिए खत्म हो जाएंगे, लेकिन इसके आने के बाद बड़े बिचौलिए पैदा हो जाएंगे। कहा जाता है कि इससे किसानों को फायदा होगा, तो बताना चाहता हूं कि अगर किसानों को मालामाल करना होता तो यूरोप और अमेरिका के किसान अब तक काफी अमीर हो चुके होते। हकीकत यह है कि वहां की सरकारें किसानों को भारी सब्सिडी देती हैं। वहां के स्थानीय लोगों के विरोध के ही चलते मैनहटन में भी वालमार्ट नहीं खुल पाया।
जेटली ने सरकार को आगाह किया कि सरकार रिटेल में एफडीआई लाकर टिक नहीं पाएगी।
(इनपुट्स एजेंसी से भी)
जेटली ने कहा, सरकार लोकसभा में 272 के आंकड़े तक पहुंच नहीं पाई। 254 के आंकड़े को सरकार जीत के रूप में नहीं देख सकती। जब आपके पास बहुमत से 18 कम संख्या है तो आप सरकार नहीं चला सकते। लोकसभा के आंकड़ों को देखते हुए लगता है कि सरकार के दिन लद गए हैं। वह जल्द ही जाने वाली है।
उन्होंने कहा कि सरकार अन्य दलों पर निर्भर थी और इसकी उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा, यह महंगा समर्थन था। आपको (सरकार) हर दिन इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। हम देखेंगे कि आने वाले दिनों में यह समर्थन किस प्रकार देश के प्रशासन को प्रभावित करता है।
जेटली ने कहा कि भाजपा एफडीआई के खिलाफ नहीं है। मुद्दा यह है कि इसकी अनुमति किस क्षेत्र में दी जाए। उन्होंने कहा, क्या कुछ पश्चिमी देश भारत में आर्थिक नीतियों का मानदंड तय करेंगे? हम एफडीआई के खिलाफ कभी नहीं रहे। लेकिन यह किस क्षेत्र में होना चाहिए, इसे सावधानीपूर्वक देखने की जरूरत है। देश को सभी क्षेत्रों में एफडीआई से होने वाले नुकसान एवं फायदे के आधार पर यह निर्णय लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 18 से 20 करोड़ लोग खुदरा कारोबार पर निर्भर हैं। सो, वालमार्ट कहीं से भी इन लोगों के लिए सही नहीं होगा। निर्माण क्षेत्र में इससे नौकरियों को नुकसान होगा।
उन्होंने आगे कहा, हर बदलाव सुधार नहीं होता। अब दुनिया को सुधार की परिभाषा बतलाने का वक्त आ गया है। सरकार ने नीतियां बनाई हैं, लेकिन फिर भी सुधार नहीं हुए। उन्होंने कहा कि मैं कपिल सिब्बल को चुनौती देता हूं कि वह अपने संसदीय क्षेत्र चांदनी चौक में विदेशी रिटेल स्टोर खुलवाकर दिखाएं।
अरुण ने कहा कि एफडीआई के सबसे बड़े पैरोकार शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने महाराष्ट्र में कह दिया है कि वह अभी राज्य में इसे लागू नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि रिटेल में एफडीआई से विदेशी समान भारत के स्टोर में बिकेगा, जो कि देश के बिलकुल अच्छा नहीं है।
उन्होंने उदाहरण दिया कि दो साल पहले वॉलमार्ट का टर्नओवर साढ़े 21 लाख करोड़ था और भारत का टोटल रिटेल बाजार साढ़े दस लाख करोड़ का है। यानी भारत के बाजार से उसका टर्नओवर दोगुना है।
अरुण ने कहा कि हमेशा दलील दी जाती है कि इससे बिचौलिए खत्म हो जाएंगे, लेकिन इसके आने के बाद बड़े बिचौलिए पैदा हो जाएंगे। कहा जाता है कि इससे किसानों को फायदा होगा, तो बताना चाहता हूं कि अगर किसानों को मालामाल करना होता तो यूरोप और अमेरिका के किसान अब तक काफी अमीर हो चुके होते। हकीकत यह है कि वहां की सरकारें किसानों को भारी सब्सिडी देती हैं। वहां के स्थानीय लोगों के विरोध के ही चलते मैनहटन में भी वालमार्ट नहीं खुल पाया।
जेटली ने सरकार को आगाह किया कि सरकार रिटेल में एफडीआई लाकर टिक नहीं पाएगी।
(इनपुट्स एजेंसी से भी)
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