केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी की भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं में फेल होने के बाद विदेश में पढ़ने वाले छात्रों की टिप्पणी पर नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर के दुखी पिता की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है, जो कल मंगलवार को यूक्रेन के खार्किव में रूसी बमबारी में मारा गया था. 21 वर्षीय मृतक छात्र के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर ने कर्नाटक के चालगेरी में अपने घर पर एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि नवीन एक बुद्धिमान छात्र था, जो भारत में मेडिकल की पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकता था, इसलिए वह यूक्रेन गया था.
दरअसल, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों पर एक सवाल के जवाब में विवादित बयान दिया था. रूस द्वारा जारी हमलों के बीच 9,000 से अधिक भारतीयों ने यूक्रेन छोड़ दिया है. लेकिन अभी भी करीब 10 हजार भारतीय कीव और खार्किव जैसे शहरों में फंसे हुए हैं जो बंकरों, भूमिगत मेट्रो स्टेशनों और बेसमेंट में छिपकर वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं.
बता दें कि मंत्री जोशी ने मंगलवार को चलगेरी में संवाददाताओं से कहा, "विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले नब्बे प्रतिशत भारतीय भारत में योग्यता परीक्षा पास करने में असफल होते हैं. उन्होंने कहा कि यह बहस करने का सही समय नहीं है कि छात्र चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए बाहर क्यों जा रहे हैं". उन्होंने यह भी कहा कि विदेश में मेडिकल की डिग्री पूरी करने वालों को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा पास करनी होती है.
उनका यह बयान यूक्रेन जाने वाली अखिल भारतीय चिकित्सा प्रवेश परीक्षा को "सफल करने में असमर्थ" लोगों पर सोशल मीडिया पर एक गहन बहस के बीच में आया है. कई लोगों ने तर्क दिया कि भारत में सभी योग्य उम्मीदवारों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त मेडिकल सीटें नहीं हैं.
मंत्री की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, नवीन के पिता ने कहा, "यहां मेडिकल की पढ़ाई करने के इच्छुक लोगों के लिए डॉनेशन बहुत अधिक है. बुद्धिमान छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे हैं और वे कर्नाटक की तुलना में कम राशि वहां खर्च कर पढ़ाई कर रहे हैं. यहां, एक छात्र को कोटा के तहत मेडिकल सीट पाने के लिए करोड़ों रुपये देने होते हैं."
उन्होंने बताया कि नवीन ने अपनी स्कूली परीक्षा में 97 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. वहीं नवीन के एक रिश्तेदार सिद्दप्पा ने कहा कि चूंकि परिवार में आर्थिक तंगी थी, इसलिए परिवार के सामने यूक्रेन अधिक व्यवहार्य विकल्पों में से एक था. परिवार एक मैनेजमेंट कोटा सीट नहीं खरीदना चाहता था. लेकिन परिवार के सभी सदस्यों ने नवीन को यूक्रेन भेजने के लिए पैसे जमा किए ताकि वह डॉक्टर बनने के अपने सपने को पूरा कर सके.
सिद्धप्पा ने कहा, "वे बहुत गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं. उनके पिता एक निजी कंपनी के लिए काम करते थे. नौकरी छोड़ने के बाद वे गांव वापस आ गए. शेखरप्पा और नवीन की मां हमेशा चाहती थीं कि उनका बेटा डॉक्टर बने. हम सभी ने उसे यूक्रेन भेजने के लिए पैसों का योगदान दिया."
उन्होंने कहा कि नवीन को पहले ही पता था कि वह डॉक्टर बनना चाहता है, लेकिन उसे एडमिशन नहीं मिल सका. चूंकि यहां मैनेजमेंट कोटे के तहत मेडिकल सीट बहुत महंगी है, इसलिए उसने यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई बहुत कम पैसे में करने का फैसला किया. वह सपना कल अचानक टूट गया जब खार्किव में खाने का सामान खरीदते समय रूसी बम विस्फोट में नवीन की मौत हो गई."
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