किसानों का देश भर में तीन घंटे का चक्काजाम (Farmers Chakka Jam) सफल और शांतिपूर्ण रहा. यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली को इससे अलग रखा गया था. किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने चक्काजाम खत्म होने के बाद दो टूक कहा कि कृषि कानूनों (Farm Laws Protest) की वापसी की मांग नहीं माने जाने तक किसान घरों को नहीं लौटेंगे.
टिकैत ने कहा कि केंद्र से बातचीत करने को लेकर किसान संगठनों पर कोई दबाव नहीं है. दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर टिकैत ने कहा कि यह आंदोलन दो अक्टूबर तक चलेगा और तब तक केंद्र सरकार के पास इन कानूनों को वापस लेने की मोहलत है. अगर तब तक सरकार नहीं मानती है तो किसान संगठन विरोध प्रदर्शन की अगली रणनीति तैयार करेंगे.
टिकैत चक्काजाम के सफल और शांतिपूर्ण ढंग से पूरा होने पर जोश में नजर आए. यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली को छोड़कर उत्तर भारत के सभी राज्यों दक्षिण भारत में तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना भी चक्काजाम के आह्वान का असर देखने को मिला. कांग्रेस, वामपंथी दलों के अलावा तमाम राजनीतिक दलों का भी किसानों को साथ मिला.
ट्रैक्टर-ट्रक लगाकर बंद किया एक्सप्रेसवे
किसानों ने सोनीपत में अपने ट्रैक्टर और बड़े ट्रक लगाकर ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफ़ेरेल एक्सप्रेसवे बंद किया. किसान एंबुलेंस और अन्य आपात सेवा के वाहनों को जाने दे रहे थे. किसानों ने सोनीपत में कुंडली बॉर्डर के पास केजीपी-केएमपी पर जाम लगाया. चक्का जाम के दौरान, किसानों ने जम्मू-पठानकोट हाईवे, अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाईवे, शाहजहांपुर (राजस्थान-हरियाणा) बॉर्डर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम किया.
दिल्ली में नारे लगा रहे SFI के कार्यकर्ता हिरासत में
ITO से लाल किला के मार्ग पर शहीदी पार्क के सामने दोपहर एक बजकर 27 मिनट पर फिर से JNU से जुड़े SFI के लोग अचानक पोस्टर, बैनर लेकर अचानक नारेबाजी करने लगे. पुलिस ने उन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया.
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