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This Article is From Nov 20, 2021

किसान जारी रखेंगे आंदोलन, कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद बोले योगेंद्र यादव

किसानों ने संकेत दिया है कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी और बिजली संशोधन विधेयक जैसे मुद्दों पर उसका आंदोलन जारी रहेगा. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि किसान लंबित मुद्दों पर सरकार से वार्ता को लेकर तैयार हैं. 

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संयुक्त किसान मोर्चा ने 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत का किया है ऐलान

नई दिल्ली:

किसान आंदोलन पहले की तरह जारी रखेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और किसान नेता योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) ने शनिवार को कोर कमेटी की बैठक के बाद यह जानकारी दी. योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों की 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली किसान महापंचायत भी अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही आयोजित की जाएगी. यही नहीं, किसान 29 नवंबर को तय कार्यक्रम के मुताबिक, संसद मार्च की योजना को भी रद्द नहीं करेंगे. योगेंद्र यादव संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukta Kisan Morcha) की कोर कमेटी के सदस्य हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi)  ने शुक्रवार को गुरु पर्व के मौके पर तीनों कृषि कानून (farm laws) को वापस लेने का ऐलान किया था.

योगेंद्र यादव ने कहा कि उन्हें याद नहीं होता है कि पिछले 70 सालों में किसानों को इतनी बड़ी जीत कभी मिली होगी, ऐसे ही 7 साल में पहली बार सरकार को पहली बार कदम वापस लेना पड़ा है. हालांकि बिजली संशोधन बिल, पराली बिल का सवाल अभी बाकी है. किसान पहले दिन से न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी का मुद्दा उठाते रहे हैं. किसानों पर झूठे केस लादे गए हैं. किसानों की कुचलने की घटना के बावजूद केंद्रीय मंत्री खुलेआम घूम रहे हैं. पीएम शायद राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इन बातों को भूल गए होंगे, लेकिन हम नहीं भूले हैं.लिहाजा फिलहाल सारे कार्यक्रम तय निर्धारित समय होंगे. संसद में कानून  रद्द हो जाएंगे तो आगे निर्णय़ लिया जाएगा. 

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसानों से कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन की पहली वर्षगांठ पर 26 नवंबर को सभी विरोध प्रदर्शन स्थलों पर बड़ी संख्या में इकट्ठा होने का अनुरोध किया है. 40 किसान संगठनों समूह संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आंदोलनकारी किसानों की सभी मांगों को पूरा कराने के लिए संघर्ष जारी रहेगा. उत्तर भारत के राज्यों के किसानों से 26 नवंबर 2021 को प्रदर्शन स्थलों पर पहुंचने की अपील की गई है. उस दिन दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन का एक साल पूरा हो रहा है. दिल्ली की सीमा पर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के, तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ पिछले साल 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया था, लेकिन यह कहा था कि कृषि कानूनों की वापसी के फैसले पर मुहर लगने तक वो दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहा अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. किसानों ने संकेत दिया है कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी और बिजली संशोधन विधेयक जैसे मुद्दों पर उसका आंदोलन जारी रहेगा. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि किसान लंबित मुद्दों पर सरकार से वार्ता को लेकर तैयार हैं. 

संयुक्त किसान मोर्चा तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ करीब एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहा था. लेकिन पीएम मोदी ने कल ऐलान किया कि सरकार कुछ किसान संगठनों को इन कानूनों के फायदे समझा पाने में असफल रही. लिहाजा इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया संसद के शीतकालीन सत्र में शुरू की जाएगी. संसद का शीतकालीन संत्र 29 नवंबर से शुरू हो रहा है. 

हालांकि विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार ने कृषि कानूनों की वापसी का कदम यूपी और पंजाब विधानसभा चुनाव में हार के डर से लिया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरा है. प्रियंका गांधी ने लखीमपुर खीरी कांड में घिरे केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग फिर उठाई है. 

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