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This Article is From May 24, 2020

भारत-चीन के बीच तनाव : सेना का बयान- चीन ने भारतीय जवानों को नहीं लिया हिरासत में, नहीं छीने गए हथियार

भारत (India) और चीन (China) की सेनाओं के बीच लद्दाख में तनाव की खबरें आ रही हैं. इस बीच, इस तरह की भी खबरें आई थीं कि भारतीय जवानों को चीनी जवानों ने हिरासत में ले लिया. लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया.

भारत-चीन के बीच तनाव :  सेना का बयान- चीन ने भारतीय जवानों को नहीं लिया हिरासत में, नहीं छीने गए हथियार
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

भारत (India) और चीन (China) की सेनाओं के बीच लद्दाख में तनाव के बीच खबरें आई थीं कि भारतीय जवानों को चीनी जवानों ने हिरासत में ले लिया गया था और बाद में रिहा कर दिया. सेना की ओर से इस तरह की खबरों का रविवार को खंडन किया गया. सेना ने एक बयान जारी कर उन खबरों का खंडन किया है जिनमें कहा गया था कि चीन ने भारतीय सैनिकों को बंधक बनाया था. सेना के मुताबिक, यह पूरी तरह भ्रामक और गलत खबर है. ऐसी खबरें राष्ट्र हित में नहीं है. इससे पहले सेना की ओर से कहा गया था कि चीन की ओर से भारतीय जवानों को हिरासत में नहीं लिया गया था और न ही उनके हथियार छीने गए थे. 

भारत और चीन के बीच विवाद की मुख्य वजह बॉर्डर एरिया में कंस्ट्रक्शन (निर्माण गतिविधियां) का काम बताया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, बॉर्डर पर दोनों ओर से तैनाती बढ़ा दी गई है. हालात ठीक करने के लिए हर स्तर पर बातचीत जारी है. राजनैतिक, राजनयिक और सेना के स्तर पर मामले को सुलझाने की कोशिश चल रही है. सेना ने इस विवाद पर आधिकारिक बयान में उन खबरों का खंडन किया है कि जिसमें चीन ने भारतीय सैनिकों को बंधक बनाया था. सेना के मुताबिक यह पूरी तरह भ्रामक और गलत खबर है. ऐसी खबरें राष्ट्र हित में नहीं है.

आपको बता दें कि भारत-चीन सीमा पर सीमांकन नही है इसलिए दोनों देश के सीमा को लेकर अपने-अपने दावे हैं. विवाद सुलझाने के लिये करीब 20 विशेष प्रतिनिधि स्तर पर बातचीत हो चुकी है, लेकिन ठोस नतीजा नहीं निकला है. इतना ही प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी सीमा पर विश्वास बहाली के लिये कोशिशें कर चुके हैं, लेकिन आये दिन बॉर्डर पर हालात तनावपूर्ण हो जाते हैं.

दरअसल, कहा जा रहा था कि इस सप्ताह के शुरू में पैंगोंग में भारतीय और चीनी सेना के बीच हाथापाई के हालात बन गए थे. इसको लेकर एलएसी पर तनाव की स्थिति बन गई थी. इस विवाद को लेकर एक लम्बी संचार श्रृंखला है जो प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंच गई है. इस सिलसिले में भारतीय एजेंसियों ने सारे घटनाक्रम का उल्लेख किया है. PMO को भेजी गई इस रिपोर्ट में लिखा है कि जिस पेट्रोल पार्टी को डिटेन किया गया था उसमें सेना और आईटीबीपी के जवान शामिल थे. विवाद बढ़ जाने के बाद दोनों पक्षों के कमांडरों की एक बैठक सीमा बुलाई गई और फिर स्थिति को शांत किया गया.

वहीं, एक वरिष्ठ नौकरशाह का कहना था कि "पिछले बुधवार को स्थिति बहुत अस्थिर हो गई जब भारतीय जवानों और चीनी सेना के बीच हाथापाई के बाद हमारे कुछ जवानों को हिरासत में ले लिया गया. लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया." उनके अनुसार आईटीबीपी के जवानों से इस हाथापाई में हथियार भी छीन लिए गए थे. उन्होंने कहा, "लेकिन आखिरकार हथियारों को भी वापस सौंप दिया गया. हमारे जवान भी वापस आ गए."

रायसीना हिल्स को भेजी गई कुछ रिपोर्टों के अनुसार चीनी भारतीय क्षेत्र के अंदर अच्छी तरह से आने में कामयाब रहे थे और मोटर नौकाओं के साथ आक्रामक गश्त भी कर रहे हैं. घटनाओं के अनुक्रम के बारे में वरिष्ठ स्तर के एक अधिकारी कहते हैं कि "यह एक बड़े पैमाने पर निर्माण था, लेकिन अब चीजें थोड़ी कम हो गई हैं, लेकिन अभी तक खत्म नहीं हुई है." उनके अनुसार अब दोनों पक्षों की उपस्थिति बराबर है. वह आगे खुलासा करता हैं कि "चीन ने गैल्वान के साथ तीन अलग-अलग स्थानों पर टेंट खड़े किए हैं." 

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल विकासशील स्थितियों की दैनिक समीक्षा कर रहे हैं. इस तरह की समीक्षा के बाद उस क्षेत्र में स्थापित सुरक्षा को मजबूत करने का निर्णय लिया गया. इसके बाद भारत ने भी गालवान क्षेत्र में अपने सैनिकों को मजबूत किया.

सूत्र बताते हैं कि भारत और चीन दोनों ने पिछले एक सप्ताह में अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है और पूर्वी लद्दाख में तीन क्षेत्रों में एलएसी के साथ कुछ हिस्सों में किलेबंदी और चबूतरे का निर्माण भी किया है जिसमें पैंगोंग त्सो, डेमोकोक और गैलवान घाटी क्षेत्र शामिल हैं.

भारतीय बलों ने भी पीएमओ को सूचित किया है कि चीनी हेलीकॉप्टरों को इस महीने की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में विवादित क्षेत्र में भी देखा गया था. चीन और भारत के बीच टकराव तब शुरू हुआ जब चीन ने भारत द्वारा गलवान क्षेत्र में एक सड़क और पुल के निर्माण के बारे में अपनी नाराजगी व्यक्त की. एक वरिष्ठ अधिकारी ने NDTV को बताया, "सड़क का निर्माण स्थानीय आबादी की मदद के लिए किया गया था."

विदेश मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया है कि एलएसी के हमारे पक्ष में भारत द्वारा सभी भारतीय गतिविधियां की गई हैं. MEA ने आरोप लगाया कि चीन LAC के साथ भारत की सामान्य गश्त में बाधा डाल रहा है.

इस बीच सेना प्रमुख एमएम नरवने ने शुक्रवार को लद्दाख में 14 कोर के मुख्यालय का दौरा किया, ताकि क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच विवादित नियंत्रण रेखा के साथ जमीनी स्थिति का आकलन किया जा सके.

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