सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने चीन के साथ लगती 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा पर किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सैन्य बल की पुनर्संतुलन रणनीति के तहत शुक्रवार को उत्तरी सीमाओं के लिए मथुरा स्थित 1 कोर की प्रमुख परिचालन योजनाओं की समीक्षा की. 1 कोर, एक आरक्षित स्ट्राइक फोर्स है. 20 महीने पहले पूर्वी लद्दाख में चीनी पीएलए द्वारा यथास्थिति को बदलने के लिए 'एकतरफा और उकसाने वाले' प्रयासों के बाद उभरती चुनौतियों के मद्देनजर 1 कोर विशेष तौर पर उत्तरी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सेना प्रमुख ने उत्तरी सीमाओं पर जोर देने के साथ कोर की विभिन्न परिचालन योजनाओं की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि यूक्रेन में चल रहे संकट ने एक तरह से विभिन्न संभावित सुरक्षा चुनौतियों को प्रतिबिंबित किया है और इस तरह के प्रत्येक संघर्ष से सीखने के लिए कुछ सबक हैं. सेना मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘यूक्रेन की स्थिति को ऐसे प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए जो हमारी उत्तरी सीमाओं पर पीएलए द्वारा किए जा सकते हैं. किसी भी स्तर पर उत्तरी सीमाओं से ध्यान नहीं हटाया जाना चाहिए.''
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे उत्तरी शत्रु से खतरे को देखते हुए, भारतीय सेना दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य के साथ क्षमताओं को विकसित करने के इरादे से अपनी परिचालन प्राथमिकताओं को बनाए रखना जारी रखे हुए है.'' अधिकारी ने कहा कि उत्तरी सीमाओं पर जारी स्थिति भारतीय सेना को अपने आरक्षित संरचनाओं के परिचालन कार्य को फिर से संरेखित करना जरूरी बनाती है. सूत्रों ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदपूर्वक बदलने के लिए पीएलए द्वारा 'एकतरफा और उकसावे वाली' कार्रवाइयों का भारतीय सेना ने पर्याप्त जवाब दिया.
उन्होंने कहा कि जहां दोनों सेनाएं संतुलन के मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत में लगी हुई हैं, वहीं भारतीय सेना उन क्षेत्रों में पर्याप्त बल स्तर बनाए रखती है जहां अभी तक सेना को हटाया नहीं गया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं