किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे हो रहे हैं. बेतहाशा गर्मी के बीच आंदोलन (Farmers Protest) के भविष्य पर भी लोग सवाल कर रहे हैं. लेकिन प्रचंड गर्मी के बीच भी टीकरी बार्डर (Tikri Border) पर धरना दे रही महिलाओं के हौसले को कमजोर नहीं कर पाई है. महिलाओं का कहना है कि जब भयंकर सर्दी का सितम भी उनका कुछ न बिगाड़ पाया तो गर्मी के कहर को भी वो झेल लेंगे पर पीछे नहीं हटेंगे.
ट्रैक्टर से धूल भरी तेज हवा और तीखी धूप में मुश्किलों भरा सफर तय करके 25 महिलाओं (Women Farmers) का जत्था पंजाब के संगरुर से टीकरी बार्डर पहुंचने वाला है. सर्विस रोड पर चलते हुए ट्रैक्टर से करीब 12 किमी तक सड़क पर किसानों के तंबू हमें लगे मिले.100 दिन बाद टीकरी बार्डर पर हमें उतने ज्यादा किसान भले ही न मिले हों, लेकिन संख्या बहुत कम भी नहीं है.संगरूर से अमरजीत कौर तीसरी बार टीकरी बार्डर पहुंची हैं. बढ़ती गर्मी और पानी की किल्लत का डर उन्हें बिल्कुल नहीं है.
अमरजीत कौर का कहना है कि हम तो खुद चाहते हैं कि आंदोलन लंबा चले लेकिन हम ये कानून वापस करा कर ही जाएंगे. दिल्ली से करीब 12 किमी दूर बहादुरगढ़ (Bahadur Garh) के आउटर पर किसानों की सभा भी चल रही है.100 दिन बाद भी हमें BKU उगरांहा की किसान नेता बिंदु शुक्रवार को भी महिलाओं के बीच मिलीं. यहां हम पटियाला (Patiala) और मोगा (Moga) के उन बुजुर्ग महिलाओं से मिले जिनको धरने पर बैठे सौ दिन से ज्यादा हो गए. बलबीर कौर जैसी बुजुर्ग महिलाओं ने पहले पंजाब में धरना दिया और अब लगातार दिल्ली के टीकरी बार्डर पर डटी हैं.
बलबीर कौर ने रोते हुए कहा कि खेती में ज्यादा नहीं होता वरना मेरा पोता ऑस्ट्रेलिया कमाने न जाता. अब हमारी जमीन भी लेने की कोशिश हो रही है. सुखपाल कौर ने कहा कि उनके दो छोटे पोते हैं, उनकी याद तो आती है इतने दिनों से हम यहां हैं, लेकिन क्या करें कानून वापस ले तो हम जाएंगे. किसान पहले ट्रैक्टर ट्राली में थे अब आंदोलन लंबा खिंचने के चलते किसानों ने सड़क पर ही सैकड़ों झोपड़ी और तंबू लगा दिए हैं.लेकिन आने वाले दिनौं में सरकार की उदासीनता के सााथ गर्मी, बीमारी और गंदगी की चुनौती भी किसानों का इम्तेहान लेगी.
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