EC पहुंचा SC, कहा- मध्य प्रदेश HC का शारीरिक रूप से चुनाव प्रचार पर बैन मतदान प्रक्रिया में दखल

चुनाव आयोग ने कहा है  कि हाईकोर्ट का आदेश मतदान प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है. आयोग की याचिका में कहा गया है कि चुनाव कराना उसका डोमेन है और हाईकोर्ट का आदेश मतदान प्रक्रिया को बाधित करेगा.

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश में आगामी उपचुनावों (Madhya Pradesh Bypolls) का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. चुनाव आयोग (Election Commission) ने शारीरिक रूप से चुनाव अभियान को प्रतिबंधित करने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. चुनाव आयोग ने कहा है  कि हाईकोर्ट का आदेश मतदान प्रक्रिया में हस्तक्षेप करता है. आयोग की याचिका में कहा गया है कि चुनाव कराना उसका डोमेन है और हाईकोर्ट का आदेश मतदान प्रक्रिया को बाधित करेगा.

चुनाव आयोग ने अपनी अर्जी में कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश से उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रक्रिया प्रभावित होगी. दरअसल, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार को प्रतिबंधित कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि रैलियों  की अनुमति तभी दी जा सकती है, जब वर्चुअल मीटिंग संभव न हो. आयोग ने अपनी याचिकाओं में यह भी कहा है कि पहले से ही COVID-19 के दौरान चुनाव कराने के दिशा-निर्देश पहले ये तय हैं और हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए.

बता दें कि राज्य में 28 विधानसभा सीटों के लिए  3 नवंबर को उपचुनाव होने हैं. इसके लिए चुनावी रैलियां और जनसभाएं भी हो रही थीं, लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने कोरोनावायरस को देखते हुए चुनावी रैलियां करने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को अपनी दौ रैलियों को निरस्त कर दिया था और कहा था कि वो हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. उन्होंने बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए हो रही रैलियों पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था, 'हम माननीय न्यायालय का सम्मान करते हैं, उनके फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इन फैसले के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय जा रहे हैं क्योंकि एक देश में दो विधान जैसी स्थिति हो गई है. देश के एक हिस्से में रैली व सभा हो सकती है, दूसरे हिस्से में नहीं हो सकती. बिहार में सभाएं हों रही हैं, रैलियां हो रही हैं लेकिन मध्य प्रदेश के एक हिस्से में सभाएं नहीं हो सकती. इस फैसले के संबंध में हम न्याय की प्राप्ति के लिए सर्वोच्च न्यायालय जा रहे हैं, हमें विश्वास है कि न्याय मिलेगा.'

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