कोरोना संकट के बीच देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर भूंकप के झटके महसूस किए जाने की खबर है. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) ने बताया कि दिल्ली में 2.1 तीव्रता के भूकंप का झटका महसूस किया गया. यह कम तीव्रता का भूकंप है. एनसीएस ने कहा कि भूकंप का केंद्र दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर स्थित था और यह अपराह्न एक बजे धरती के 18 किलोमीटर नीचे आया. अप्रैल से दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मध्यम और कम तीव्रता के 14 से अधिक भूकंप आ चुके हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने यह जानकारी दी है. इससे पहले, 3 जून को भी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. भूकंप का केंद्र गौतमबुद्ध नगर जिले में नोएडा के 19 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में था. भूकंप के झटके रात 10 बजकर 42 मिनट पर महसूस किए गए.
इस बीच, विशेषज्ञों का मानना है कि इन भूकंपों में कुछ असामान्य नहीं है. पिछले दो महीनों में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में करीब 13 बार भूकंप आने से यह आशंका जताई जा रही है कि कहीं यह कोई बड़े भूकंप का संकेत तो नहीं है. ऐसे में, विशेषज्ञों ने कहा है कि इस भूकंपीय गतिविधि में कुछ भी असामान्य नहीं है. उन्होंने कहा कि भूकंप का पूर्वानुमान करना संभव नहीं है, लेकिन किसी आपात स्थिति से निपटने के लिये एक आपदा प्रबंधन की एक उपयुक्त योजना तैयार रहनी चाहिए.
भूकंपीय गतिविधियों के लिये दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र बहुत ही संवेदनशील है. यहां की धरती में कई ‘फॉल्ट लाइन' हैं, जो भूकंप उत्पन्न करती हैं लेकिन यह स्थान अफगानिस्तान में हिंदुकुश पर्वतमाला और यहां तक नेपाल में आने वाले भूकंपों के प्रभावों को भी महसूस करता है.
भारत मौसम विभाग में भूगर्भ विज्ञान एवं भूकंप जोखिम मूल्यांकन केंद्र के प्रमुख ए के शुक्ला के मुताबिक, दिल्ली में भूकंप का एक तगड़ा झटका 1720 में आया था, जिसकी तीव्रता 6.5 मापी गई थी. क्षेत्र में अंतिम बार सबसे बड़ा भूकंप 1956 में बुलंदशहर के पास आया था जिसकी तीव्रता 6.7 मापी गई थी. शुक्ला ने कहा कि हालिया भूकंप कोई असामान्य परिघटना नहीं है क्योंकि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन की तरह ही कई फॉल्ट लाइन हैं. मथुरा, मुरादाबाद और सोहना में फॉल्ट हैं.
दिल्ली-एनसीआर में हाल ही में दर्ज किये गये सभी 14 भूकंप निम्न से मध्यम तीव्रता के हैं. ये 12 अप्रैल से लेकर तीन जून तक दर्ज की गईं. इनकी तीव्रता 1.8 से लेकर 4.5 (रोहतक में) हैं.
जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरु में भूगतिकी (जियोडायनामिक्स) के प्राध्यापक सी पी राजेंद्रन ने कहा कि दिल्ली ने पिछले कुछ समय से 4.5 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप का अब तक सामना नहीं किया है. उन्होंने कहा कि बहुत अधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र, दिल्ली-एनसीआर में बड़ा भूकंप आने की बहुत कम संभावना है. उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली-एनसीआर में भूकंप का आना कोई नयी चीज नहीं है क्योंकि इसके नीचे कई फॉल्ट लाइन हैं.
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