डॉ. ज़ाकिर नाईक (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उपदेशक ज़ाकिर नाईक का एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) इन आरोपों के बीच गृह मंत्रालय की निगरानी में आ गया है कि उसने विदेशों से प्राप्त चंदे का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों और लोगों को कट्टरपंथी विचारों के लिए प्रेरित करने के लिए किया।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईआरएफ की गतिविधियों की जांच के आदेश दिए गए हैं। आईआरएफ विदेशी चंदा विनियमन कानून के तहत दर्ज है।
मुंबई के नाईक तब सरकारी निगरानी में आ गए, जब यह खबर आई कि उनके भाषण ने ही ढाका कैफे के हमलावरों में से कुछ को प्रेरित किया था।
ज़ाकिर नाईक का जवाब
इस मामले में ज़ाकिर नाईक ने बकायदा एक वीडियो शूट करके सफाई दी है। उन्होंने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को निरधार बताते हुए कहा कि एक बांग्लादेशी अखबार ने बिना किसी सबूत के आतंकवादियों को मुझसे जोड़ दिया और भारतीय मीडिया ने भी बिना रिसर्च के मुझे जिम्मेदार ठहरा दिया।
नाईक ने कहा कि अगर मीडिया ने जरा सी भी रिसर्च कर ली होती तो उन्हें सच्चाई पता चल जाती। यही नहीं उन्होंने कहा, 'दुनियाभर में मेरे करोड़ों प्रशंसक हैं। बांग्लादेश में 90 फीसदी लोग मुस्लिम हैं और उनमें से भी 50 फीसदी से ज्यादा मेरे प्रशंसक हैं। लेकिन मैं आतंकवाद फैला रहा हूं ये बातें गलत हैं।'
मलेशिया में बैन नहीं बल्कि देश का सर्वोच्च सम्मान मिला है
मलेशिया सहित कई देशों में बैन के मुद्दे पर उन्होंने कहा, 'सिर्फ यूके में मुझे कुछ समय के लिए बैन किया गया था, मलेशिया ने तो करीब तीन साल पहले मुझे सर्वोच्च सम्मान दिया है और करीब 3 महीने पहले अप्रैल में ही मैं वहां होकर आया हूं। मेरी जानकारी में मुझे किसी भी देश में बैन नहीं किया गया है।'
महाराष्ट्र सरकार भी मुस्लिम उपदेशक के भाषणों की जांच का आदेश दे चुकी है। गृह मंत्रालय इन आरोपों की जांच करेगा कि आईआरएफ को मिले विदेशी चंदे का इस्तेमाल राजनीतिक गतिविधियों के लिए किया गया। इस एनजीओ के धन का उपयोग लोगों को इस्लाम के प्रति और युवकों को आतंक की आकर्षित करने के लिए किया गया।
ये सारी गतिविधियां एफसीआरए के प्रावधानों के विपरीत है। इस कानून का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय आईआरएएफ के विदेशी चंदे के स्रोत की भी जांच करेगा।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईआरएफ की गतिविधियों की जांच के आदेश दिए गए हैं। आईआरएफ विदेशी चंदा विनियमन कानून के तहत दर्ज है।
मुंबई के नाईक तब सरकारी निगरानी में आ गए, जब यह खबर आई कि उनके भाषण ने ही ढाका कैफे के हमलावरों में से कुछ को प्रेरित किया था।
ज़ाकिर नाईक का जवाब
इस मामले में ज़ाकिर नाईक ने बकायदा एक वीडियो शूट करके सफाई दी है। उन्होंने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को निरधार बताते हुए कहा कि एक बांग्लादेशी अखबार ने बिना किसी सबूत के आतंकवादियों को मुझसे जोड़ दिया और भारतीय मीडिया ने भी बिना रिसर्च के मुझे जिम्मेदार ठहरा दिया।
नाईक ने कहा कि अगर मीडिया ने जरा सी भी रिसर्च कर ली होती तो उन्हें सच्चाई पता चल जाती। यही नहीं उन्होंने कहा, 'दुनियाभर में मेरे करोड़ों प्रशंसक हैं। बांग्लादेश में 90 फीसदी लोग मुस्लिम हैं और उनमें से भी 50 फीसदी से ज्यादा मेरे प्रशंसक हैं। लेकिन मैं आतंकवाद फैला रहा हूं ये बातें गलत हैं।'
मलेशिया में बैन नहीं बल्कि देश का सर्वोच्च सम्मान मिला है
मलेशिया सहित कई देशों में बैन के मुद्दे पर उन्होंने कहा, 'सिर्फ यूके में मुझे कुछ समय के लिए बैन किया गया था, मलेशिया ने तो करीब तीन साल पहले मुझे सर्वोच्च सम्मान दिया है और करीब 3 महीने पहले अप्रैल में ही मैं वहां होकर आया हूं। मेरी जानकारी में मुझे किसी भी देश में बैन नहीं किया गया है।'
महाराष्ट्र सरकार भी मुस्लिम उपदेशक के भाषणों की जांच का आदेश दे चुकी है। गृह मंत्रालय इन आरोपों की जांच करेगा कि आईआरएफ को मिले विदेशी चंदे का इस्तेमाल राजनीतिक गतिविधियों के लिए किया गया। इस एनजीओ के धन का उपयोग लोगों को इस्लाम के प्रति और युवकों को आतंक की आकर्षित करने के लिए किया गया।
ये सारी गतिविधियां एफसीआरए के प्रावधानों के विपरीत है। इस कानून का उल्लंघन करने पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय आईआरएएफ के विदेशी चंदे के स्रोत की भी जांच करेगा।
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