एनआईटी श्रीनगर में छात्रों पर लाठीचार्ज करने वाली पुलिस के रवैये की आलोचना हो रही है
श्रीनगर:
जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी में स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में व्याप्त तनाव के बाद अपने रवैये को लेकर आलोचना झेल रहे राज्य के तीन पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को दो टूक कहा कि उन्हें देश में राष्ट्रवाद पर किसी से प्रमाण-पत्र लेने की जरूरत नहीं है।
बारामूला के पुलिस उपाधीक्षक फिरोज याहया ने इस मामले में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एक धड़े को आड़े हाथों लिया। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, 'मेरे कई साथी मुझसे पूछ रहे हैं और कई अन्य निश्चित रूप से सोच रहे होंगे कि हम किसकी लड़ाई लड़ रहे हैं? मैं सभी से बस यही कह सकता हूं कि यह एक अन्य दौर है और यह भी गुजर जाएगा।' उन्होंने लिखा, 'जम्मू एवं कश्मीर पुलिस को (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में) किसी से राष्ट्रवाद पर प्रमाण-पत्र लेने की जरूरत नहीं है। हमें कानून के दायरे में रहकर अच्छे काम जारी रखने की जरूरत है और हमें इससे कोई नहीं डिगा सकता।'
वहीं, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (अपराध) मुबस्सिर लतीफी ने कहा, 'पुलिस बलों को राष्ट्रवाद या निष्पक्षता को लेकर उनसे कोई प्रमाण-पत्र लेने की जरूरत नहीं है, जिनकी वीरता केवल कीपैड्स तक ही सीमित है।' उन्होंने कहा, 'जम्मू एवं कश्मीर पुलिस का बलिदान व वीरता को लेकर रिकॉर्ड रहा है। इसने राज्य को आतंकवाद जैसे पागलपन से बाहर निकाला है।'
पुलिस अधिकारियों की ओर से ये टिप्पणियां एनआईटी छात्रों के एक धड़े और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं तथा इसके सहयोगियों द्वारा जम्मू एवं कश्मीर पुलिस की आलोचना के जवाब में आई हैं, जिनका कहना है कि राज्य पुलिस का रवैया 'बाहरी छात्रों' के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित है।
गौरतलब है कि भारत और वेस्ट इंडीज के बीच वर्ल्ड कप टी-20 मैच में भारत की हार के बाद कुछ छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में खुशियां मनानी शुरू कर दी थी, जिसका अन्य छात्रों ने विरोध किया। इसके बाद हिंसा और पुलिस की कार्रवाई हुई।
शोपियां के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र मिश्रा ने एनआईटी के छात्रों को भी कुछ सलाह दी है। उन्होंने छात्रों से कहा, 'बेहद जिम्मेदारी के साथ बोलिए। जम्मू एवं कश्मीर पुलिस उच्च पेशेवर मानदंड वाली एक राष्ट्रवादी बल है।' याहया ने यह भी कहा कि जिन अच्छे आम लोगों के लिए पुलिस सेवा देती है, वे कुछ कारणों से 'हमसे अलग हो सकते हैं, पर अपने अच्छे काम से हम उनका दिल जीतने में सफल होंगे।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
बारामूला के पुलिस उपाधीक्षक फिरोज याहया ने इस मामले में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के एक धड़े को आड़े हाथों लिया। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, 'मेरे कई साथी मुझसे पूछ रहे हैं और कई अन्य निश्चित रूप से सोच रहे होंगे कि हम किसकी लड़ाई लड़ रहे हैं? मैं सभी से बस यही कह सकता हूं कि यह एक अन्य दौर है और यह भी गुजर जाएगा।' उन्होंने लिखा, 'जम्मू एवं कश्मीर पुलिस को (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में) किसी से राष्ट्रवाद पर प्रमाण-पत्र लेने की जरूरत नहीं है। हमें कानून के दायरे में रहकर अच्छे काम जारी रखने की जरूरत है और हमें इससे कोई नहीं डिगा सकता।'
वहीं, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (अपराध) मुबस्सिर लतीफी ने कहा, 'पुलिस बलों को राष्ट्रवाद या निष्पक्षता को लेकर उनसे कोई प्रमाण-पत्र लेने की जरूरत नहीं है, जिनकी वीरता केवल कीपैड्स तक ही सीमित है।' उन्होंने कहा, 'जम्मू एवं कश्मीर पुलिस का बलिदान व वीरता को लेकर रिकॉर्ड रहा है। इसने राज्य को आतंकवाद जैसे पागलपन से बाहर निकाला है।'
पुलिस अधिकारियों की ओर से ये टिप्पणियां एनआईटी छात्रों के एक धड़े और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं तथा इसके सहयोगियों द्वारा जम्मू एवं कश्मीर पुलिस की आलोचना के जवाब में आई हैं, जिनका कहना है कि राज्य पुलिस का रवैया 'बाहरी छात्रों' के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित है।
गौरतलब है कि भारत और वेस्ट इंडीज के बीच वर्ल्ड कप टी-20 मैच में भारत की हार के बाद कुछ छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में खुशियां मनानी शुरू कर दी थी, जिसका अन्य छात्रों ने विरोध किया। इसके बाद हिंसा और पुलिस की कार्रवाई हुई।
शोपियां के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र मिश्रा ने एनआईटी के छात्रों को भी कुछ सलाह दी है। उन्होंने छात्रों से कहा, 'बेहद जिम्मेदारी के साथ बोलिए। जम्मू एवं कश्मीर पुलिस उच्च पेशेवर मानदंड वाली एक राष्ट्रवादी बल है।' याहया ने यह भी कहा कि जिन अच्छे आम लोगों के लिए पुलिस सेवा देती है, वे कुछ कारणों से 'हमसे अलग हो सकते हैं, पर अपने अच्छे काम से हम उनका दिल जीतने में सफल होंगे।'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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