भारत में डिजिटल लेनदेन (Digital Payment) को बढ़ावा देने की सरकार और आऱबीआई की कोशिश रंग लाती नजर आ रही हैं. आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 5 साल में डिजिटल भुगतान करीब छह गुना बढ़ गया है. ऑनलाइन लेनदेन पर शुल्क पिछले कुछ वर्षों में काफी कम हुआ है. युवाओं में स्मार्टफोन (SmartPhone) और डिजिटल लेनदेन पर बढ़ते भरोसे का भी असर दिख रहा है.
केंद्रीय बैंक के मुताबिक, वर्ष 2015-16 से 2019-20 के बीच डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ा है. डिजिटल भुगतान की संख्या मार्च 2016 में 593.61 करोड़ से बढ़कर मार्च 2020 तक 3434.56 करोड़ हो गई है. यह पांच साल में करीब 5.8 गुना है. इस दौरान डिजिटल लेनदेन का मूल्य 15.2 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर के साथ 920.38 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 1,623.05 लाख करोड़ रुपये हो गया है. आरबीआई के अनुसार, 2016-17 में डिजिटल भुगतान इससे पिछले वर्ष की तुलना में 593.61 करोड़ से बढ़कर 969.12 करोड़ हो गया, जबकि इस लेनदेन का मूल्य बढ़कर 1,120.99 लाख करोड़ रुपये हो गया.
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पिछले वित्त वर्ष में सबसे बड़ा उछाल
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2019-20 में इसमें भारी उछाल देखने को मिला, जब लेनदेन की संख्या जबरदस्त तेजी के साथ बढ़कर 3,434.56 हो गई, हालांकि इस दौरान कुल मूल्य में कुछ कमी आई. मूल्य के हिसाब से यह ,623.05 लाख करोड़ रुपये का रहा.
डिजिटल लेनदेन पर शुल्क घटने का भी लाभ
कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के दौरान भी डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ा है. हालांकि मौजूदा वित्तीय वर्ष के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं. आरबीआई ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल लेनदेन पर शुल्क बेहद कम कर दिया है, एनईएफटी की सुविधा 24 घंटे उपलब्ध हो गई है. आरटीजीएस को भी 24 घंटे करने की तैयारी चल रही है
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