क्या दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का बयान भूल गए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद?

Farm laws Protest :अरुण जेटली ने 6 दिसंबर के संसद में दिए गए एक संबोधन में कहा था, 'जब बाजार से छोटे बिचौलिए चले जाते हैं तो उनकी जगह वालमार्ट, टेस्को जैसे बड़े बिचौलिए ले लेते हैं. इससे किसान को फायदा नहीं मिलता.

क्या दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का बयान भूल गए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद?

रविशंकर प्रसाद ने कृषि सुधारों पर कांग्रेस, एनसीपी को उनके पुरानों पर घेरने की कोशिश की

नई दिल्ली:

कृषि कानूनों को लेकर भारत बंद के एक दिन पहले सियासी जोर आजमाइश भी तेज हो गई. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने किसान आंदोलन को समर्थन दे रहे विपक्षी दलों पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर कांग्रेस, एनसीपी और अन्य दलों को उनके पिछले बयान याद दिलाए. इसमें कांग्रेस के घोषणापत्र का भी जिक्र है. केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, इसमें मंडी कानून (एपीएमसी एक्ट) को खत्म करने की बात कही गई है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यूपीए सरकार में कृषि मंत्री रहे शरद पवार को भी एपीएमसी एक्ट को खत्म करने से जुड़े उनके बयानों की याद दिलाई. हालांकि प्रसाद दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley)  के बयान का उल्लेख करना भूल गए.

रवीश कुमार के प्राइम टाइम शो में चले वीडियो में दिखाया गया है कि तत्कालीन नेता विपक्ष जेटली ने 6 दिसंबर 2012 को राज्यसभा में एक भाषण दिया था. उन्होंने कहा था, 'जब बाजार से छोटे बिचौलिए चले जाते हैं तो उनकी जगह वालमार्ट, टेस्को जैसे बड़े बिचौलिए ले लेते हैं. बाजार की अर्थव्यवस्था को समझ लीजिए. भारत में 68 फीसदी उत्पादक को जाता है, जबकि 32 फीसदी रिटेल को जाता है, जबकि ब्रिटेन और अमेरिका में इसके उलट आंकड़े हैं.' जेटली ने कहा था कि हमें यह समझना होगा कि देश को असंगठित कृषि बाजार की जरूरत है या संगठित. आज देश की यह स्थिति नहीं है कि हम कंसालिडेटेड एग्रीकल्चर मार्केट (संगठित कृषि बाजार) खड़ा कर दें. जब खरीदार इन बड़े खरीदारों को बेचना जाता है तो उसके पास उत्पाद बेचने के 50 साधन नहीं बचते. यानी उनके विकल्प काफी सीमित हो जाते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)  ने भी 2016 में ई-नैम योजना शुरू करते वक्त कहा था कि यह किसानों के साथ थोक व्यापारियों और उपभोक्ताओं के हित की व्यवस्था है. इससे बिचौलिए बाजार में एक ओर माल खरीद कर दूसरे को बेचते हैं, उसको भी इससे फायदा हो, ऐसी व्यवस्था है. सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सरकार नीति आयोग की उस सिफारिश पर भी सफाई देगी, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म करने की सिफारिश की गई है. हालांकि भाजपा और कांग्रेस की आर्थिक नीतियां ऐसे मसलों पर कमोवेश एक जैसी ही नजर आती हैं.

रवीश कुमार का प्राइम टाइम : जेटली का बयान कैसे भूल गए रविशंकर प्रसाद

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