
आरबीआई ने 22 दिसंबर को संसदीय पैनल को अपनी रिपोर्ट दी है.
नई दिल्ली:
भले ही सरकार अभी तक यह कहती रही है कि उसने भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) की सलाह पर नोटबंदी का फैसला लिया लेकिन अब इस मामले में आरबीआई की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस फैसले की परतें खुली हैं. इसके मुताबिक नोटबंदी लागू होने के एक दिन पहले यानी सात नवंबर को सरकार ने आरबीआई को नोटबंदी के मसले पर विचार करने का आग्रह किया था. उसके अगले ही दिन आठ नवंबर को आरबीआई ने उस पर अपनी सहमति दी और शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में नोटबंदी के फैसले का ऐलान किया. पिछले महीने के अंत में एक संसदीय पैनल के समक्ष पेश रिपोर्ट में आरबीआई ने यह बात कही.
आरबीआई की रिपोर्ट
आरबीआई ने 22 दिसंबर को पेश सात पन्नों की रिपोर्ट में कहा है, ''सरकार ने सात नवंबर को आरबीआई को सलाह दी थी कि जाली नोट, आतंकियों की फंडिंग और काला धन की समस्याओं से निपटने के लिए आरबीआई का सेंट्रल बोर्ड 500 और 1000 के नोटों की कानूनी वैधता को वापस लेने पर विचार कर सकता है.'' उसमें यह भी कहा गया था कि काला धन पर लगाम लगाने में इसकी बड़ी भूमिका हो सकती है और काले धन की अर्थव्यवस्था के खात्मे से भारत के आर्थिक विकास पर सकारात्मक असर पड़ेगा. इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि पिछले पांच वर्षों में 500 और 1000 के नोटों के प्रसार में बढ़ोतरी हुई है और इनके जाली नोटों के मामलों में भी इजाफा देखा गया है.
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की इस सलाह पर गौर करने के लिए अगले ही दिन आरबीआई सेंट्रल बोर्ड की बैठक हुई और विचार-विमर्श करने के बाद 500 और 1000 के नोटों को वापस लेने और उनकी कानूनी वैधता खत्म करने संबंधी सरकार की सलाह पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी. उसी शाम यानी आठ नवंबर को प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में उसी मध्यरात्रि से नोटबंदी के फैसले का ऐलान कर दिया. हालांकि इस रिपोर्ट के साथ आरबीआई ने इसकी पृष्ठभूमि और तैयारियों से संबंधित शीर्षकों में कहा है कि उसने जाली नोटों, आतंकियों की फंडिंग और काला धन पर लगाम लगाने के लिए सरकार को कई सलाहें दी थीं, उनमें से नोटबंदी लागू करने की सलाह भी दी गई थी.
सरकार का दावा
उसके आठ दिन बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में नोटबंदी पर बहस के दौरान कहा था कि नोटबंदी का निर्णय आरबीआई बोर्ड ने लिया था. उन्होंने कहा था, ''रिजर्व बैंक के बोर्ड ने यह निर्णय लिया. इसको सरकार के पास भेजा और सरकार ने इस निर्णय की सराहना करते हुए, कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी कि पांच सौ और हजार के पुराने नोटों को रद किया जाए. नए नोट आएं.''
इस रिपोर्ट के आज प्रकाशित होने के बाद ट्विटर पर इस पर प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं. प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर लिखा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि नोटबंदी का निर्णय नरेंद्र मोदी का था. आरबीआई को सूचना दी गई और उसने हामी भरी. इसके प्रभावों पर कोई विचार नहीं किया गया. पीयूष गोयल ने झूठ बोला कि यह आरबीआई का निर्णय था.
आरबीआई की रिपोर्ट
आरबीआई ने 22 दिसंबर को पेश सात पन्नों की रिपोर्ट में कहा है, ''सरकार ने सात नवंबर को आरबीआई को सलाह दी थी कि जाली नोट, आतंकियों की फंडिंग और काला धन की समस्याओं से निपटने के लिए आरबीआई का सेंट्रल बोर्ड 500 और 1000 के नोटों की कानूनी वैधता को वापस लेने पर विचार कर सकता है.'' उसमें यह भी कहा गया था कि काला धन पर लगाम लगाने में इसकी बड़ी भूमिका हो सकती है और काले धन की अर्थव्यवस्था के खात्मे से भारत के आर्थिक विकास पर सकारात्मक असर पड़ेगा. इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि पिछले पांच वर्षों में 500 और 1000 के नोटों के प्रसार में बढ़ोतरी हुई है और इनके जाली नोटों के मामलों में भी इजाफा देखा गया है.
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की इस सलाह पर गौर करने के लिए अगले ही दिन आरबीआई सेंट्रल बोर्ड की बैठक हुई और विचार-विमर्श करने के बाद 500 और 1000 के नोटों को वापस लेने और उनकी कानूनी वैधता खत्म करने संबंधी सरकार की सलाह पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी. उसी शाम यानी आठ नवंबर को प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में उसी मध्यरात्रि से नोटबंदी के फैसले का ऐलान कर दिया. हालांकि इस रिपोर्ट के साथ आरबीआई ने इसकी पृष्ठभूमि और तैयारियों से संबंधित शीर्षकों में कहा है कि उसने जाली नोटों, आतंकियों की फंडिंग और काला धन पर लगाम लगाने के लिए सरकार को कई सलाहें दी थीं, उनमें से नोटबंदी लागू करने की सलाह भी दी गई थी.
सरकार का दावा
उसके आठ दिन बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में नोटबंदी पर बहस के दौरान कहा था कि नोटबंदी का निर्णय आरबीआई बोर्ड ने लिया था. उन्होंने कहा था, ''रिजर्व बैंक के बोर्ड ने यह निर्णय लिया. इसको सरकार के पास भेजा और सरकार ने इस निर्णय की सराहना करते हुए, कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी कि पांच सौ और हजार के पुराने नोटों को रद किया जाए. नए नोट आएं.''
It's clear now Noteban was Modi's decision: RBI was 'informed'&fell in line. No disc of costs&impacts. PGoyal lied that it was RBI decision! pic.twitter.com/nrDZJkF0BW
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) January 10, 2017
इस रिपोर्ट के आज प्रकाशित होने के बाद ट्विटर पर इस पर प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं. प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर लिखा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि नोटबंदी का निर्णय नरेंद्र मोदी का था. आरबीआई को सूचना दी गई और उसने हामी भरी. इसके प्रभावों पर कोई विचार नहीं किया गया. पीयूष गोयल ने झूठ बोला कि यह आरबीआई का निर्णय था.
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