लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद हरियाणा सरकार ने सोमवार से दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर को आखिरकार खोल दिया है. अप्रैल से ही कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए यहां गैर-जरूरी सेवाओं और सामान्य ट्रैफिक के लिए बॉर्डर को सील कर दिया गया था. लॉकडाउन 4.0 में केंद्र की ओर से राज्य की सीमाओं को लेकर दी गई रियायतों के बावजूद हरियाणा सरकार ने दिल्ली-गुरुग्राम के बॉर्डर को सील रहने देने का फैसला किया था.
शनिवार को केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन 5.0 और इस दौरान लागू होने वाले नए नियमों और रियायतों के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार देर रात को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करके यह फैसला लिया.
खट्टर सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘बैठक में यह फैसला लिया गया है कि अब दो राज्यों और जिलों के बीच लोगों या सामन वगैरह की किसी भी तरह पर रोक नहीं लगेगी.'
शनिवार को अपने ऑर्डर में ग़ृहमंत्रालय ने 30 जून तक लॉकडाउन बढ़ाने का आदेश देते हुए नॉन-कंटेनमेंट ज़ोन इलाकों के लिए रियायतें भी दीं. इसमें अलग से अनुमति या फिर ई-पास के बिना अंतर-राज्यीय आवाजाही की अनुमति दी गई है. हालांकि, जरूरत पड़ने पर इस आदेश में जिला स्तर पर प्रशासन आवाजाही पर रोक लगाने का अधिकार दिया गया है.
हरियाणा के मंत्री अनिल विज का कहना था कि हरियाणा में बढ़ते केस की वजह से दिल्ली से आ रहे लोग हैं. अप्रैल में उन्होंने दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर सील होने पर ऐसे लोगों को 'कोरोना कैरियर्स' कहा था जो दिल्ली में नौकरी करते हैं लेकिन रहते गुड़गांव में हैं. बॉर्डर पर पूरी तरह आवाजाही सील करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार जरूरी सेवाएं दे रहे लोगों की आवाजाही को अनुमित देने के निर्देश दिए थे.
रविवार के आंकड़ों में सामने आया है कि हरियाणा में पिछले तीन दिनों में 340 केस आए हैं. इतने केस एक साथ राज्य में पिछले दो महीनों में भी नहीं आए हैं. यहां एक दिन के भीतर 157 नए केस सामने आए, जो एक दिन का रिकॉर्ड है. यहां कुल केस बढ़कर 677 हो गए हैं. हरियाणा के 80 फीसदी कोरोना के मामले दिल्ली से लगने वाले जिलों में हैं. बता दें कि दिल्ली पूरे देश में सबसे ज्यादा कोरोनावायरस के मामलों में तीसरे नंबर पर है.
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