यह ख़बर 10 सितंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

दिल्ली दुष्कर्म : कोर टीम कैसे पहुंची तह तक...

खास बातें

  • 23 वर्षीया प्रशिक्षु फीजियोथेरापिस्ट के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना में शामिल लोगों को दबोचने के लिए 100 पुलिसकर्मी शामिल थे।
नई दिल्ली:

पिछले वर्ष दिसंबर महीने में 23 वर्षीया प्रशिक्षु फीजियोथेरापिस्ट के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना में शामिल लोगों को दबोचने के लिए 100 पुलिसकर्मी शामिल थे लेकिन पुलिस की आठ सदस्यों की कोर टीम ने न केवल इस मामले का उद्भेदन किया, बल्कि एक किशोर सहित छह आरोपियों के खिलाफ मामले को मजबूत तरीके से अदालत में पेश करने के लिए रात-दिन एक किए रखा।

भारी राजनीतिक और सार्वजनिक दबाव और पुलिस विरोधी भावना के बावजूद कोर टीम ने पांच दिनों के भीतर ही अपराधियों को दबोच लिया और महत्वपूर्ण सबूत जुटा लिए। जुटाए गए सबूतों में से कुछ डीएनए जांच पर आधारित थे। टीम ने 1000 पृष्ठों का आरोपपत्र तैयार किया जिसके आधार पर दिल्ली की अदालत ने मंगलवार को इस घृणित अपराध में शामिल चार आरोपियों को दोषी करार दिया।

मामले का एक आरोपी ने सुनवाई के दौरान आत्महत्या कर ली और एक किशोर को सजा सुनाई जा चुकी है।

मामले के किशोर आरोपी को पुलिस ने 'सबसे ज्यादा क्रूर' बताया है। किशोर न्याय बोर्ड ने तीन अगस्त को उसे तीन वर्षों के लिए सुधार गृह में रखने का आदेश दिया। यह किशोरों को दी जाने वाली अधिकतम सजा है। अब यह किशोर 18 वर्ष की उम्र सीमा को पार कर चुका है।

दिल्ली दुष्कर्म ने राष्ट्रीय राजधानी समेत देश को हिलाकर रख दिया था और बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू करने के साथ ही दिल्ली को 'रेप कैपिटल' का तोहमत भी लगाया।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त पीएस कुशवाहा के नेतृत्व में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया। कुशवाहा ने आईएएनएस को बताया कि उन्हें यह विश्वास था कि आरोपियों के खिलाफ मामला खड़ा उतरेगा।

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उनके अलावा सहायक पुलिस आयुक्त रमेश चंदर, इंस्पेक्टर राजिंदर सिंह, इंस्पेक्टर अनिल शर्मा, इंस्पेक्टर अतुल कुमार, छाया शर्मा (अब मिजोरम में डीआईजी उस समय पुलिस उपायुक्त) आदिश टीम में शामिल थे।