दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा जनलोकपाल बिल विधानसभा में पेश कर पास कराने की बात सार्वजनिक होने पर कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृहमंत्रालय कानूनी सलाह ले रहा है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय इस बारे में यह जानने का प्रयास कर रहा है कि क्या केंद्रीय गृहमंत्रालय की मंजूरी के बिना कोई बिल दिल्ली की विधानसभा में पेश किया जा सकता है।
वहीं, रविवार को एनडीटीवी से बात करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया कि यदि जनलोकपाल बिल पास होने में किसी भी तरह की बाधा आती है, तब वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
उल्लेखनीय है कि गृहमंत्रालय यह साफ कर चुका है कि बिना केंद्र की मंजूरी के दिल्ली सरकार इस प्रकार कोई भी बिल पास नहीं कर सकती, वहीं, केजरीवाल भी कह चुके हैं कि वह इस बिल को पास कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
एनडीटीवी से बात करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह 13 फरवरी को जनलोकपाल बिल दिल्ली की विधानसभा में पेश करेंगे। केजरीवाल ने यह भी संदेश साफ दिया कि यदि यह बिल नहीं पास हुआ तो उनकी सरकार का कोई मकसद नहीं है।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दावा किया है कि केंद्र का यह नियम केवल आम आदमी पार्टी की सरकार पर ही लागू किया जा रहा है। उनका कहना है कि पूर्व में शीला दीक्षित की सरकरा ने करीब 15 बिल बिना केंद्र की मंजूरी के पास किए थे।
वहीं, केजरीवाल की सरकार को बाहर से समर्थन दे रही कांग्रेस पार्टी का कहना है कि वह बिल पर बहस को तैयार है, लेकिन वह ऐसा कुछ भी स्वीकार नहीं करेगी जो संविधान के खिलाफ है।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग पर काफी बिगड़े थे जब, उपराज्यपाल ने इस मुद्दे पर कानूनी सलाह ली थी। उन्होंने कहा कि बिना बिल के जंग ने किस मुद्दे पर राय ली। हालांकि, बाद में उन्होंने यह भी कहा कि उनके उपराज्यपाल के साथ मधुर संबंध हैं। उन्होंने पार्टी प्रवक्ता आशुतोष को भी नसीहत दी कि वह उपराज्यपाल के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग न करें। उल्लेखनीय है कि आशुतोष ने उपराज्यपाल को कांग्रेस का एजेंट बताया था।
इस पूरे मसले पर मुख्य विपक्षी दल भाजपा का कहना है कि वह इतनी आसानी से केजरीवाल को भागने नहीं देगी। वह इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार के साथ है।
बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने देश के सॉलिसिटर जनरल मोहन पारासरन से इस संबंध में राय मांगी थी कि क्या दिल्ली की सरकार बिना केंद्रीय गृहमंत्रालय के अनुमति के ऐसा बिल विधानसभा में पेश कर सकती है, लेकिन अब पारासरन ने दिल्ली के उपराज्यपाल को अपनी राय भेज दी है।
सूत्रों के अनुसार इस राय में कहा गया है कि बिना गृह मंत्रालय की पूर्वानुमति के इस प्रकार से विधानसभा में बिल पेश करना अवैध होगा।
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