विदेशी राजनयिकों का एक नया समूह इस सप्ताह जम्मू-कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर जाएगा. केंद्र द्वारा गत वर्ष अगस्त में संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत दी गई राज्य की विशेष स्थिति को समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद यह दूसरी बार होगा जब कोई विदेशी प्रतिनिधिमंडल जम्मू और कश्मीर का दौरा करेगा.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "सरकार ने लगभग 16 राजनयिकों को जम्मू-कश्मीर की दो दिन की यात्रा पर ले जाने का फैसला किया है." राजनयिक इस्लामिक कॉर्पोरेशन, आसियान, यूरोपीय संघ और लैटिन अमेरिका के संगठन से हैं. मंत्रालय ने संबंधित देशों से आने वाले अपने राजनयिकों को चुनने के लिए कहा है.
अब तक की योजना 9 जनवरी को राजनयिकों को श्रीनगर ले जाने की है, जहां सेना उन्हें कश्मीर घाटी में जमीनी स्थिति के बारे में बताएगी. अगले दिन, उन्हें कुछ प्रमुख लोगों से मिलने के लिए जम्मू ले जाया जाएगा. अंतिम योजना पर काम होना बाकी है.
अधिकारी ने बताया कि "सरकार अंतरराष्ट्रीय निंदा को इस जरिए से टालना चाहती है और आशान्वित है." कई देशों और यूएस हाउस ऑफ रिप्रिजेंटेटिव्स ने 5 अगस्त से जम्मू-कश्मीर में जारी प्रतिबंधों और इंटरनेट पर भी बंदिश को लेकर चिंता व्यक्त की है.
अक्टूबर में सरकार ने यूरोपीय संघ के 23 सांसदों को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने की अनुमति दी थी. यह एक ऐसा कदम था जिसने विपक्ष को उग्र कर दिया था क्योंकि तब तक विपक्ष को राज्य का दौरा करने की अनुमति नहीं दी गई थी. कांग्रेस के राहुल गांधी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को श्रीनगर हवाई अड्डे से वापस कर दिया गया था.
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