एक बड़े फैसले में, रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने गुरुवार को भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए 40 हजार करोड़ रुपए की लागत से छह पनडुब्बियों के स्वदेश में निर्माण को मंजूरी दी. अधिकारियों ने कहा कि यह फैसला खरीद मामलों पर निर्णय करने की रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में किया गया. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली डीएसी ने थलसेना के लिए करीब पांच हजार मिलान टैंक रोधी मिसाइलों की खरीद को भी मंजूरी दी.
साथ ही अधिकारियों ने कहा कि परियोजना रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत पूरी की जाएगी जो विदेशी रक्षा निर्माताओं के साथ मिलकर भारत में चुनिंदा सैन्य प्लेटफॉर्म बनाने के लिए निजी फर्म को जिम्मेदारी देने की व्यवस्था करता है. रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत लागू होने वाली यह दूसरी परियोजना होगी. नये मॉडल के तहत लागू होने के लिए सरकार की मंजूरी वाली पहली परियोजना 21 हजार करोड़ रुपये की लागत से नौसेना के लिए 111 हेलीकाप्टर की खरीद की थी.
रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ' रक्षा खरीद परिषद ने एक एतिहासिक फैसला लेते हुए भारतीय नौसेना के लिए छह पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण की मंजूरी दे दी है. इस प्रोजेक्ट पर करीब 40 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी.'
बता दें, भारतीय नौसेना के लिए दो मिसाइल युद्धपोत बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय और सार्वजनिक क्षेत्र की गोवा शिपयार्ड के बीच समझौता हुआ है. इसकी अनुमानित लागत 14,000 करोड़ रुपये है. रूस की रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के सहयोग से गोवा शिपयार्ड द्वारा तलवार-श्रेणी की दो यद्धपोतों का निर्माण किया जाएगा. रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'पोत बहुत ही उच्च श्रेणी की हथियार प्रणाली को ले जाने में सक्षम होंगे और सेंसरों से लैस होंगे.' इस परियोजना के लिए भारत ने पहले ही रूस के साथ अलग समझौता कर लिया है.
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भारतीय नौसेना को पहला पोत जून 2026 में मिलेगा जबकि दूसरा पोत उसी साल दिसंबर में मिलेगा. जहाजों का निर्माण भारतीय नौसेना की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. सरकार ने नौसेना की क्षमता को बढ़ाने के लिए 56 नए पोतों और छह पनडुब्बियों को शामिल करने की मंजूरी पहले ही दे दी है.
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