लोकसभा में मनोहर पर्रिकर...
नई दिल्ली:
विवादास्पद अगस्तावेस्टलैंड सौदे को लेकर पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार ने अगस्तावेस्टलैंड को हेलीकाप्टर का ठेका देने के लिए हर तरह की रियायत दी और पूर्व वायु सेना प्रमुख एसपी त्यागी, गौतम खेतान तो ‘बहती गंगा’ में हाथ धोने वाले छोटे नाम है, हम बड़े नामों का पता लगा रहे हैं, जिन्होंने रिश्वत ली।
इटली की कोर्ट में आए फैसले के आधार पर जांच
लोकसभा में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदा 2013 में कथित अनियमितताओं के बारे में कोर्ट ऑफ अपील मिलान, इटली द्वारा हाल ही में किए गए खुलासे के बारे में रक्षा मंत्री ने अपने बयान में कहा कि मौजूदा जांच उन पर केन्द्रित होगी जिनका नाम इटली की अदालत के फैसले में आया है।
केबिन ऊंचाई की शर्त जानबूझकर डाली गई
पर्रिकर ने कहा कि शर्तों में हेलीकॉप्टर के केबिन की ऊंचाई 1.8 मीटर करने की शर्त अनिवार्य रूप से डाली गई और यह जानबूझकर किसी कंपनी को बाहर करने के उद्देश्य से किया गया। इस शर्त के कारण वेंडर आधार सिकुड़ गया। इसके साथ ही अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर दो मानदंडों को पूरा नहीं किया, फिर भी विशेषतौर पर उसे छूट दी गई। निविदा दस्तावेज एक कंपनी को दिए गए, जबकि निविदा दस्तावेज दूसरी कंपनी ने भरे। तब की सरकार ने भ्रष्टाचार का मामला आने के बाद कंपनी को लिखने की बजाए उच्चायोग से सम्पर्क किया।
आखिर ये गंगा कहा जाती है...
उन्होंने कहा कि इस सौदे में 50.7 मिलियन यूरो की बैंक गारंटी की राशि अभी भी अटकी पड़ी हुई है। कांग्रेस एवं गांधी परिवार पर परोक्ष निशाना साधते हुए पर्रिकर ने कहा, हमने पहले ही कदम उठाया है। अभी जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, वे छोटे लोग हैं। त्यागी, खेतान ने तो बहती गंगा में हाथ धो लिया। हम यह पता लगा रहे हैं कि गंगा कहां जाती है।’’ कांग्रेस सदस्यों के विरोध के बीच अपना प्रहार जारी रखते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, मैंने किसी के ऊपर कोई आरोप नहीं लगाए। किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन जो अरबी खाते हैं, उनके गले में ही खुजली होती है। इन्हें (कांग्रेस) पता है कि गंगा कहां बह कर जाती है।’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर फिनमैकेनिका के सीईओ को गिरफ्तार नहीं किया जाता तब तत्कालीन संप्रग सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है। इस बारे में तत्कालीन सरकार ने जो कार्रवाई की, वह परिस्थिति के कारण मजबूरी में की गई कार्रवाई थी।
संप्रग ने हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए लगातार रियायत दी
पर्रिकर ने कहा कि इससे भी आश्चर्यजनक बात यह है कि अनुबंध को ‘होल्ड’ पर रखने का आदेश 12 मई 2014 को आया जब लोकसभा चुनाव का अंतिम दौर चल रहा था क्योंकि उन्हें परिणाम का अंदाजा हो गया था और एक्जिट पोल भी आने लगे थे। राज्यसभा में बयान पढ़ने के लिए सदस्यों की आलोचना झेलने वाले पर्रिकर ने आज निचले सदन में स्वाभाविक रूप से सिलसिलेवार ढंग से बात रखी। 12 वीवीआईपी हेलीकाप्टरों के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि संप्रग ने अगस्ता वेस्टलैंड के हेलीकाप्टरों को खरीदने के लिए लगातार रियायत दी। उन्होंने कहा कि इटली में नवंबर 2011 में आपराधिक मामला दर्ज किया गया, लेकिन तत्कालीन संप्रग सरकार ने हेलीकॉप्टर खरीदना जारी रखा और इनमें से तीन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति भी कर दी गई। रक्षा मंत्री ने इस मामले का तिथिवार ब्यौरा देते हुए कहा कि सीबीआई ने 12 मार्च 2013 को एक मामला दर्ज किया था किन्तु उसने नौ माह तक प्राथमिकी की प्रति को प्रवर्तन निदेशालय को नहीं दिया। उसके बाद ईडी ने जुलाई तक प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई नहीं की।
रिश्वत का धन कहां है, इसका पता लगाने की कोशिश
जांच जारी होने की ओर ध्यान दिलाते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ हमारी सरकार ने कंपनी को कालीसूची में डालने का काम किया।’’ उन्होंने कहा कि जांच उन लोगों की भूमिका पर केन्द्रित होगी जिनका नाम इटली की अदालत के फैसले में आया है। सीबीआई जांच कर रही है और वह फिलहाल रिश्वत का धन कहां कहां गया इसका पता लगाने की कोशिश कर रही है।
सौदे को होल्ड करने में करीब दो साल लग गए
रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय संप्रग ने विदेश मंत्रालय, दूतावास एवं अदालत को लिखा। उन्होंने कहा कि सौदे को होल्ड करने में करीब दो वर्ष लग गए। वास्तव में पहले तीन वायुयानों की आपूर्ति को टाला जा सकता था। पर्रिकर ने आरोप लगाया कि हेलीकॉप्टरों को बढ़े हुए मूल्यों पर लाया गया तथा मूल्य सौदेबाजी के लिए कोई वास्तविक आधार नहीं मुहैया कराया गया उन्होंने आरोप लगाया कि आफसेट्स के लिए चयनित कंपनियों में से एक आईडीएस इंफोटेक का इस्तेमाल रिश्वत का धन देने के लिए माध्यम के तौर पर किया गया। उन्होंने कहा कि मिलान अपील अदालत के फैसले पर गौर करने के बाद रक्षा मंत्रालय ने ईडी एवं सीबीआई दोनों को लिखा है कि वे फैसले की विषय सामग्री पर ध्यान दें तथा जांच को तेजी से संपन्न करें।’’
पर्रिकर ने माना, मिलान कोर्ट के फैसले में भ्रष्टाचार के संकेत मिले
रक्षा मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि यह एक तथ्य है कि मिलान की अदालत के ताजा फैसले में आये व्यापक ब्यौरे ने इस बात को रखा कि मामले में भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि निर्णय प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों पर दुर्भावनापूर्ण एवं भ्रष्ट कार्रवाई का संकेत मिलते हैं। यह सब किसी विशेष विक्रेता के पक्षपात के मकसद से किया गया। संप्रग सरकार को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि हेलीकाप्टर का फील्ड ट्रायल ब्रिटेन में हुआ जबकि यह अनिवार्य था कि इसे भारतीय परिस्थितियों में किया जाना चाहिए था।
पूर्व रक्षा मंत्री एंटनी पर भी साधा निशाना
पर्रिकर ने कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड ने जिन हेलीकाप्टर की पेशकश की थी वे विकास के चरण में ही थे इसलिए परीक्षण किसी अन्य हेलीकाप्टर पर किया गया। उन्होंने पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी पर भी निशाना साधा जिन्होंने कहा था कि ट्रायल के बारे में उन्होंने अपनी आपत्ति लिखित में दी थी। बाद में न जाने क्यों इसे अनुमति दूसरे स्थान पर ट्रायल करने की अनुमति दी गई। रक्षा मंत्री ने कहा कि इटली की अदालत से 1.21 लाख पन्नों के दस्तावेज प्राप्त हुए हैं जिसमें 41 हजार पन्ने अंग्रेजी में हैं, शेष पन्ने वहां की भाषा में हैं, जिनका अनुवाद कराने की चुनौती है। पर्रिकर जब निशिकांत दुबे, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सौगत राय के बयानों के बाद फिर से जवाब देने के लिए उठे तो कांग्रेस ने वाकआउट कर दिया। कांग्रेस के सदस्य उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की घोषणा की मांग कर रहे थे।
सिंधिया के दावे को किया खारिज
अगस्तावेस्टलैंड सौदे के अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान 1999 से शुरू होने के कांग्रेस सदस्य ज्यातिरादित्य सिंधिया के दावे को खारिज करते हुए पर्रिकर ने कहा कि कैग की रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रक्रिया 1994 से शुरू हो गई थी जब केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार थी। अगस्तावेस्टलैंड से जुड़ी कंपनी को मेक इन इंडिया के तहत आयोजित एयर एक्सपो में शामिल करने के न्यौते पर उन्होंने कहा कि इस कंपनी के बने पुर्जे हमारे पोत आदि में लगे हैं, तो क्या हम इसे समाप्त कर दें। हमने राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय को ध्यान में रखा है। हालांकि इस कंपनी के साथ सभी सहयोग को होल्ड किया गया है।
राफेल सौदा अभी नहीं हुआ है
राफेल विमान सौदे के बारे में उन्होंने कहा कि यह सौदा अभी नहीं हुआ है और इस सौदे को हम संप्रग के समय जिस राशि पर बात हुई थी, उससे भी कम में करके दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में सीबीआई की जांच की प्रगति पर व्यक्तिगत रूप से नजर रख रहे हैं, जांच पूरी होगी और किसी को निराश नहीं करेंगे।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
इटली की कोर्ट में आए फैसले के आधार पर जांच
लोकसभा में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदा 2013 में कथित अनियमितताओं के बारे में कोर्ट ऑफ अपील मिलान, इटली द्वारा हाल ही में किए गए खुलासे के बारे में रक्षा मंत्री ने अपने बयान में कहा कि मौजूदा जांच उन पर केन्द्रित होगी जिनका नाम इटली की अदालत के फैसले में आया है।
केबिन ऊंचाई की शर्त जानबूझकर डाली गई
पर्रिकर ने कहा कि शर्तों में हेलीकॉप्टर के केबिन की ऊंचाई 1.8 मीटर करने की शर्त अनिवार्य रूप से डाली गई और यह जानबूझकर किसी कंपनी को बाहर करने के उद्देश्य से किया गया। इस शर्त के कारण वेंडर आधार सिकुड़ गया। इसके साथ ही अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर दो मानदंडों को पूरा नहीं किया, फिर भी विशेषतौर पर उसे छूट दी गई। निविदा दस्तावेज एक कंपनी को दिए गए, जबकि निविदा दस्तावेज दूसरी कंपनी ने भरे। तब की सरकार ने भ्रष्टाचार का मामला आने के बाद कंपनी को लिखने की बजाए उच्चायोग से सम्पर्क किया।
आखिर ये गंगा कहा जाती है...
उन्होंने कहा कि इस सौदे में 50.7 मिलियन यूरो की बैंक गारंटी की राशि अभी भी अटकी पड़ी हुई है। कांग्रेस एवं गांधी परिवार पर परोक्ष निशाना साधते हुए पर्रिकर ने कहा, हमने पहले ही कदम उठाया है। अभी जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, वे छोटे लोग हैं। त्यागी, खेतान ने तो बहती गंगा में हाथ धो लिया। हम यह पता लगा रहे हैं कि गंगा कहां जाती है।’’ कांग्रेस सदस्यों के विरोध के बीच अपना प्रहार जारी रखते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, मैंने किसी के ऊपर कोई आरोप नहीं लगाए। किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन जो अरबी खाते हैं, उनके गले में ही खुजली होती है। इन्हें (कांग्रेस) पता है कि गंगा कहां बह कर जाती है।’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर फिनमैकेनिका के सीईओ को गिरफ्तार नहीं किया जाता तब तत्कालीन संप्रग सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है। इस बारे में तत्कालीन सरकार ने जो कार्रवाई की, वह परिस्थिति के कारण मजबूरी में की गई कार्रवाई थी।
संप्रग ने हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए लगातार रियायत दी
पर्रिकर ने कहा कि इससे भी आश्चर्यजनक बात यह है कि अनुबंध को ‘होल्ड’ पर रखने का आदेश 12 मई 2014 को आया जब लोकसभा चुनाव का अंतिम दौर चल रहा था क्योंकि उन्हें परिणाम का अंदाजा हो गया था और एक्जिट पोल भी आने लगे थे। राज्यसभा में बयान पढ़ने के लिए सदस्यों की आलोचना झेलने वाले पर्रिकर ने आज निचले सदन में स्वाभाविक रूप से सिलसिलेवार ढंग से बात रखी। 12 वीवीआईपी हेलीकाप्टरों के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि संप्रग ने अगस्ता वेस्टलैंड के हेलीकाप्टरों को खरीदने के लिए लगातार रियायत दी। उन्होंने कहा कि इटली में नवंबर 2011 में आपराधिक मामला दर्ज किया गया, लेकिन तत्कालीन संप्रग सरकार ने हेलीकॉप्टर खरीदना जारी रखा और इनमें से तीन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति भी कर दी गई। रक्षा मंत्री ने इस मामले का तिथिवार ब्यौरा देते हुए कहा कि सीबीआई ने 12 मार्च 2013 को एक मामला दर्ज किया था किन्तु उसने नौ माह तक प्राथमिकी की प्रति को प्रवर्तन निदेशालय को नहीं दिया। उसके बाद ईडी ने जुलाई तक प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई नहीं की।
रिश्वत का धन कहां है, इसका पता लगाने की कोशिश
जांच जारी होने की ओर ध्यान दिलाते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ हमारी सरकार ने कंपनी को कालीसूची में डालने का काम किया।’’ उन्होंने कहा कि जांच उन लोगों की भूमिका पर केन्द्रित होगी जिनका नाम इटली की अदालत के फैसले में आया है। सीबीआई जांच कर रही है और वह फिलहाल रिश्वत का धन कहां कहां गया इसका पता लगाने की कोशिश कर रही है।
सौदे को होल्ड करने में करीब दो साल लग गए
रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय संप्रग ने विदेश मंत्रालय, दूतावास एवं अदालत को लिखा। उन्होंने कहा कि सौदे को होल्ड करने में करीब दो वर्ष लग गए। वास्तव में पहले तीन वायुयानों की आपूर्ति को टाला जा सकता था। पर्रिकर ने आरोप लगाया कि हेलीकॉप्टरों को बढ़े हुए मूल्यों पर लाया गया तथा मूल्य सौदेबाजी के लिए कोई वास्तविक आधार नहीं मुहैया कराया गया उन्होंने आरोप लगाया कि आफसेट्स के लिए चयनित कंपनियों में से एक आईडीएस इंफोटेक का इस्तेमाल रिश्वत का धन देने के लिए माध्यम के तौर पर किया गया। उन्होंने कहा कि मिलान अपील अदालत के फैसले पर गौर करने के बाद रक्षा मंत्रालय ने ईडी एवं सीबीआई दोनों को लिखा है कि वे फैसले की विषय सामग्री पर ध्यान दें तथा जांच को तेजी से संपन्न करें।’’
पर्रिकर ने माना, मिलान कोर्ट के फैसले में भ्रष्टाचार के संकेत मिले
रक्षा मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि यह एक तथ्य है कि मिलान की अदालत के ताजा फैसले में आये व्यापक ब्यौरे ने इस बात को रखा कि मामले में भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने कहा कि निर्णय प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों पर दुर्भावनापूर्ण एवं भ्रष्ट कार्रवाई का संकेत मिलते हैं। यह सब किसी विशेष विक्रेता के पक्षपात के मकसद से किया गया। संप्रग सरकार को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि हेलीकाप्टर का फील्ड ट्रायल ब्रिटेन में हुआ जबकि यह अनिवार्य था कि इसे भारतीय परिस्थितियों में किया जाना चाहिए था।
पूर्व रक्षा मंत्री एंटनी पर भी साधा निशाना
पर्रिकर ने कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड ने जिन हेलीकाप्टर की पेशकश की थी वे विकास के चरण में ही थे इसलिए परीक्षण किसी अन्य हेलीकाप्टर पर किया गया। उन्होंने पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी पर भी निशाना साधा जिन्होंने कहा था कि ट्रायल के बारे में उन्होंने अपनी आपत्ति लिखित में दी थी। बाद में न जाने क्यों इसे अनुमति दूसरे स्थान पर ट्रायल करने की अनुमति दी गई। रक्षा मंत्री ने कहा कि इटली की अदालत से 1.21 लाख पन्नों के दस्तावेज प्राप्त हुए हैं जिसमें 41 हजार पन्ने अंग्रेजी में हैं, शेष पन्ने वहां की भाषा में हैं, जिनका अनुवाद कराने की चुनौती है। पर्रिकर जब निशिकांत दुबे, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सौगत राय के बयानों के बाद फिर से जवाब देने के लिए उठे तो कांग्रेस ने वाकआउट कर दिया। कांग्रेस के सदस्य उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की घोषणा की मांग कर रहे थे।
सिंधिया के दावे को किया खारिज
अगस्तावेस्टलैंड सौदे के अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान 1999 से शुरू होने के कांग्रेस सदस्य ज्यातिरादित्य सिंधिया के दावे को खारिज करते हुए पर्रिकर ने कहा कि कैग की रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रक्रिया 1994 से शुरू हो गई थी जब केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार थी। अगस्तावेस्टलैंड से जुड़ी कंपनी को मेक इन इंडिया के तहत आयोजित एयर एक्सपो में शामिल करने के न्यौते पर उन्होंने कहा कि इस कंपनी के बने पुर्जे हमारे पोत आदि में लगे हैं, तो क्या हम इसे समाप्त कर दें। हमने राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय को ध्यान में रखा है। हालांकि इस कंपनी के साथ सभी सहयोग को होल्ड किया गया है।
राफेल सौदा अभी नहीं हुआ है
राफेल विमान सौदे के बारे में उन्होंने कहा कि यह सौदा अभी नहीं हुआ है और इस सौदे को हम संप्रग के समय जिस राशि पर बात हुई थी, उससे भी कम में करके दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में सीबीआई की जांच की प्रगति पर व्यक्तिगत रूप से नजर रख रहे हैं, जांच पूरी होगी और किसी को निराश नहीं करेंगे।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
लोकसभा, अगस्तावेस्टलैंड, मनोहर पर्रिकर, संसद, Loksabha, Agusta Scam, Defence Minister, Manohar Parrikar