गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन का फाइल फोटो
राजकोट:
गुजरात के उना में कथित गोहत्या के आरोप में अपने समुदाय के युवकों की बेरहमी से पिटाई के विरोध में कुछ दलित युवकों ने राजकोट में दो जगहों पर सोमवार को आत्महत्या करने की कोशिश की। इस बीच, मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने दलित समुदाय के सदस्यों की कथित पिटाई की घटना की सीआईडी जांच का सोमवार को आदेश दिया। साथ ही, उन्होंने मामले की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत गठित किए जाने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री के आदेशों का जिक्र करते हुए एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है, ''उना दलित पिटाई मामले को सीआईडी (अपराध) को सौंप दिया गया है। मामले की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत का भी गठन किया जाएगा।'' पटेल ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए एक विशेष सरकारी वकील नियुक्त किए जाने का भी आदेश दिया जिन्हें 60 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाखिल करना होगा।
इसके अलावा पटेल ने घोषणा की कि राज्य सरकार इस घटना में घायल दलित युवकों का सारा चिकित्सा खर्च उठाएगी। इन लोगों का उना, जूनागढ़ और राजकोट के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार ने पीड़ितों को मुआवजे के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने की भी घोषणा की है।
जिले के गोंडल में पांच दलित युवक-राजेश परमार, रमेश परधी, जगदीश राठौर, भरत सोलंगी और अनिल मघड़ ने नगर के बाजार इलाके में डा. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के पास जहर पी कर आत्महत्या करने की कोशिश की। उधर, जिले के जमकानडोरना में किशोर सोलंकी (30) और अमृत परमार (25) ने खुदकुशी करने की कोशिश की। इन सभी सात दलित युवकों का इलाज गोंडल के एक अस्पताल में किया जा रहा है।
पहले ही दी थी धमकी
पुलिस निरीक्षक विजय चौधरी ने बताया कि गोंडल में खुदकुशी की कोशिश करने वाले पांचों दलित युवकों ने पहले ही आगाह कर दिया था कि वे ऐसा कदम उठा सकते हैं। उन्हें इससे रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त किए गए थे, लेकिन वे कोई जहरीला पदार्थ लेने में कामयाब रहे। पुलिस अधिकारी ने बताया, '' वे गिर-सोमनाथ जिले के उना शहर में दलित युवकों पर बर्बर हमले का विरोध कर रहे थे।''
नौ लोगों की अब तक गिरफ्तारी
इस बीच, गिर-सोमनाथ के पुलिस उपाधीक्षक केएम जोशी ने बताया कि उना में दलित युवकों पर बर्बर हमले के सिलसिले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जोशी ने बताया कि इस मामले में पुलिस निरीक्षक एनयू जाला और तीन कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है।
घटना का वीडियो हुआ था वायरल
उना में कथित रूप से गाय की हत्या करने का आरोप लगा कर दलित युवकों को सड़कों पर घुमाया गया था और उन पर कोड़े बरसाए गए। इस घटना के वीडियो के वायरल होने के बाद इस घटना की राष्ट्रव्यापी निंदा की गई। उत्पीड़न का शिकार हुए दलितों का कहना था कि वे एक मरी हुई गाय का चमड़ा निकाल रहे थे और उन्होंने गाय नहीं मारी थी।
उधर, सुरेन्द्रनगर में सैकड़ों दलितों ने एक मृत गाय के साथ जिला कलक्टर के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। उन्होंने उना कांड के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कलक्टर को एक ज्ञापन सौंपा। गुजरात के दूसरे हिस्सों में भी उना कांड के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किए गए।
वहीं, मुख्यमंत्री ने एक ट्विटर संदेश में आश्वासन दिया कि उनकी सरकार दलितों की रक्षा के प्रति वचनबद्ध है। आनंदीबेन ने ट्विटर संदेश में कहा, ''हम पीड़ितों को हर सहायता देना जारी रखेंगे। गुजरात सरकार समाज के कमजोर तबकों की सुरक्षा और विकास के प्रति वचनबद्ध है।''
मुख्यमंत्री ने बताया कि एक मंत्री और एक संसदीय सचिव ने घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ितों के लिए एक लाख रुपये का मुआवजा आवंटित किया गया है। इसके साथ ही एक पुलिस निरीक्षक और तीन कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है।
इस बीच, उना कांड के दलित पीड़ितों से मुलाकात कर चुके राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य राजू परमार ने इस मामले को निबटाने के पुलिस के तौर-तरीके पर नाराजगी जताई।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मुख्यमंत्री के आदेशों का जिक्र करते हुए एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है, ''उना दलित पिटाई मामले को सीआईडी (अपराध) को सौंप दिया गया है। मामले की त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत का भी गठन किया जाएगा।'' पटेल ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए एक विशेष सरकारी वकील नियुक्त किए जाने का भी आदेश दिया जिन्हें 60 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाखिल करना होगा।
इसके अलावा पटेल ने घोषणा की कि राज्य सरकार इस घटना में घायल दलित युवकों का सारा चिकित्सा खर्च उठाएगी। इन लोगों का उना, जूनागढ़ और राजकोट के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार ने पीड़ितों को मुआवजे के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने की भी घोषणा की है।
जिले के गोंडल में पांच दलित युवक-राजेश परमार, रमेश परधी, जगदीश राठौर, भरत सोलंगी और अनिल मघड़ ने नगर के बाजार इलाके में डा. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के पास जहर पी कर आत्महत्या करने की कोशिश की। उधर, जिले के जमकानडोरना में किशोर सोलंकी (30) और अमृत परमार (25) ने खुदकुशी करने की कोशिश की। इन सभी सात दलित युवकों का इलाज गोंडल के एक अस्पताल में किया जा रहा है।
पहले ही दी थी धमकी
पुलिस निरीक्षक विजय चौधरी ने बताया कि गोंडल में खुदकुशी की कोशिश करने वाले पांचों दलित युवकों ने पहले ही आगाह कर दिया था कि वे ऐसा कदम उठा सकते हैं। उन्हें इससे रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त किए गए थे, लेकिन वे कोई जहरीला पदार्थ लेने में कामयाब रहे। पुलिस अधिकारी ने बताया, '' वे गिर-सोमनाथ जिले के उना शहर में दलित युवकों पर बर्बर हमले का विरोध कर रहे थे।''
नौ लोगों की अब तक गिरफ्तारी
इस बीच, गिर-सोमनाथ के पुलिस उपाधीक्षक केएम जोशी ने बताया कि उना में दलित युवकों पर बर्बर हमले के सिलसिले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जोशी ने बताया कि इस मामले में पुलिस निरीक्षक एनयू जाला और तीन कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है।
घटना का वीडियो हुआ था वायरल
उना में कथित रूप से गाय की हत्या करने का आरोप लगा कर दलित युवकों को सड़कों पर घुमाया गया था और उन पर कोड़े बरसाए गए। इस घटना के वीडियो के वायरल होने के बाद इस घटना की राष्ट्रव्यापी निंदा की गई। उत्पीड़न का शिकार हुए दलितों का कहना था कि वे एक मरी हुई गाय का चमड़ा निकाल रहे थे और उन्होंने गाय नहीं मारी थी।
उधर, सुरेन्द्रनगर में सैकड़ों दलितों ने एक मृत गाय के साथ जिला कलक्टर के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। उन्होंने उना कांड के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कलक्टर को एक ज्ञापन सौंपा। गुजरात के दूसरे हिस्सों में भी उना कांड के खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किए गए।
वहीं, मुख्यमंत्री ने एक ट्विटर संदेश में आश्वासन दिया कि उनकी सरकार दलितों की रक्षा के प्रति वचनबद्ध है। आनंदीबेन ने ट्विटर संदेश में कहा, ''हम पीड़ितों को हर सहायता देना जारी रखेंगे। गुजरात सरकार समाज के कमजोर तबकों की सुरक्षा और विकास के प्रति वचनबद्ध है।''
मुख्यमंत्री ने बताया कि एक मंत्री और एक संसदीय सचिव ने घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ितों के लिए एक लाख रुपये का मुआवजा आवंटित किया गया है। इसके साथ ही एक पुलिस निरीक्षक और तीन कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है।
इस बीच, उना कांड के दलित पीड़ितों से मुलाकात कर चुके राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य राजू परमार ने इस मामले को निबटाने के पुलिस के तौर-तरीके पर नाराजगी जताई।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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