कोविड ने न्यायिक कार्यों पर असर डाला, अटके मुकदमे निपटाने के लिए गंभीर प्रयास : सीजेआई

मुख्य न्यायाधीश (Supreme Court Chief Justice) एस ए बोबडे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को एक दिन के लिए भी बंद नहीं किया गया क्योंकि मामलों में समाज के कमजोर व्यक्तियों के शामिल मौलिक अधिकार शामिल हैं.

कोविड ने न्यायिक कार्यों पर असर डाला, अटके मुकदमे निपटाने के लिए गंभीर प्रयास : सीजेआई

सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के संविधान दिवस (Constitution Day) समारोह को संबोधित किया

देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे (CJI SA Bobde) ने कहा है कि कोविड-19 (Covid-19) ने न्यायिक कार्यों पर भी असर डाला है. लेकिन लटके मुकदमों के लिए निपटारे के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं. सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित संविधान दिवस (Constitution Day) समारोह में यह बात कही.

यह भी पढ़ें- आम आदमी को समझ आने वाली अंग्रेजी में कानून बनाने की गुहार, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

मुख्य न्यायाधीश (Supreme Court Chief Justice) एस ए बोबडे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को एक दिन के लिए भी बंद नहीं किया गया क्योंकि मामलों में समाज के कमजोर व्यक्तियों के शामिल मौलिक अधिकार शामिल हैं. कोरोना वायरस ने अदालत और उसके कर्मचारियों को सबसे मुश्किल हालात दिए हैं. COVID-19  ने एक प्रकार की असमानता पैदा कर दी है और जल्द ही इसे दूर कर लिया जाएगा. यह असमानता वायरस ने पैदा की है. मुख्य न्यायाधीश ने माना कि न्यायपालिका, बार और विधि आयोग में सर्वश्रेष्ठ दिमाग के बावजूद 60 साल से लाखों मुकदमों के अटके होने की समस्या चल रही है. उन्होंने कहा कि यह प्री लिटिगेशन माध्यम का समय है जो एक डिक्री के रूप में काम कर सकता है. प्री लिटिगेशन सिस्टम काम करेगा क्योंकि हर विवाद के लिए बहस आवश्यक नहीं होती है.

यह भी पढ़ें- जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'आमतौर पर ऑनर किलिंग यूपी और हरियाणा में होती है, तमिलनाडु में यह कैसे?'

देश में 3.61 करोड़ मुकदमे लंबित
अटार्नी जनरल (Attorney General) केके वेणुगोपाल ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (Data Grid) की वेबसाइट से पता चलता है कि पूरे भारत में अदालतों में 3.61 करोड़ मामले लंबित हैं. कई मामले 30 वर्षों से लंबित हैं. कुछ मुकदमेबाजों को अपने मामलों का फल भी नहीं मिलता. न्याय वितरण प्रणाली एक नहीं हो सकती है, जहां मुकदमे वाले उस मामले के परिणामों को नहीं देख सकते हैं ,जिस पर उसने अपनी आकांक्षाएं और आशाएं रखी हैं. इसके लिए हमारे न्यायाधीशों को इसके कारण लंबे समय तक काम करना होगा.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

गरीबों के लिए दशकों तक इंतजार करना मुश्किल
अटार्नी जनरल ने राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधीनस्थ न्यायालयों में रिक्तियां भरी रहें. केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य कार्य करें. अमीर, शक्तिशाली और यहां तक कि कॉर्पोरेट भी देरी से प्रभावित नहीं होंगे। वे 30 साल तक बाहर रह सकते हैं लेकिन, मध्यम वर्ग और गरीब लोगों के लिए, 30 साल तक इंतजार करना एक कठिन काम है. उनका पैसा और धैर्य समाप्त हो जाएगा.