- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर अपने पिता की कही बातों के माध्यम से समाज को बड़ा संदेश दिया.
- महामहिम ने कहा कि असली बहादुरी पीछे चल रहे लोगों की हिम्मत बढ़ाना और उन्हें आगे बढ़ाना है.
- संविधान दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में कानून मंत्री और सीजेआई ने भी अपनी बातें रखी.
President in Constitution Day Event: बुधवार को संविधान दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने पिता की कही बात का जिक्र करते हुए एक बड़ा संदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में पिता की बातों को याद कर महामहिम भावुक होती नजर आईं. उन्होंने कहा, "मेरे पिताजी कहते थे कि आगे बढ़ो. लेकिन आगे बढ़ने के साथ पीछे मुड़ कर देखना भी जरूरी है." फिर पिता की कही बात को पूरा करते हुए महामहिम मुर्मू ने समाज को एक बड़ा संदेश दिया. उन्होंने कहा पिताजी कहा करते थे- सिर्फ आगे बढ़ना बहादुरी नहीं है बल्कि तुम्हारे पीछे चल रहे लोगों की हिम्मत बढ़ाना और पीछे वालों को आगे बढ़ाना असली बहादुरी है.
संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में क्या बोलीं राष्ट्रपति
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा- संविधान सभा की बैठकों में 56 हजार लोगों ने विजिटर्स गैलरी से बहस देखी सुनी. आज कितने लोग हमारे भाषण सुनते हैं? मुझे खुशी है कि अब लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए जन भागीदारी और मध्यस्थता जैसी चीजों को बढ़ावा मिल रहा है. पहले भी बिना कचहरी आए समाधान होता था. तब कहां इतने मुकदमे होते थे?

कार्यक्रम में मौजूद राष्ट्रपति, कानून मंत्री, सीजेआई व अन्य.
विधिक सेवा वंचित वर्ग को सुलभ हो, सबको देना होगा ध्यानः राष्ट्रपति
हंसते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लेकिन सामने बैठे जज और वकील मुझे गाली देंगे कि केस कम आएंगे तो उनके कामकाज पेशे का क्या होगा? हम धर्म निरपेक्ष राष्ट्र के नागरिक हैं. बच्चों को संविधान का बाल संस्करण पढ़ाया जाए. ताकि उनमें जीवन दृष्टि और संवैधानिक निष्ठा का ज्ञान बढ़े. संविधान राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता, लोक हित और जन भागीदारी की शासन व्यवस्था सुनिश्चित करता है. सभी हितधारकों को ध्यान देना होगा कि विधिक सेवा वंचित वर्ग को सुलभ हो.
24 साल बाद मनाएंगे संविधान के 100 साल का उत्सव
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 24 साल बाद हम संविधान के सौ साल का उत्सव मनाएंगे. राष्ट्रपति ने कहा कि क्या हमने पीछे मुड़कर देखा कि संविधान में लिखी स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा के शब्दों को कितना साकार कर पाए? क्या अगले 24 साल में हम उसे पा सकेंगे?
संविधान सभा की महिला सदस्य बेगम एजाज रसूल को भी किया याद
इस अवसर पर CJI जस्टिस सूर्यकांत ने संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों में से एक बेगम एजाज रसूल को याद करते हुए उनकी उक्ति का जिक्र किया. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम इसी संविधान की राह पर चलते हुए विकसित और मजबूत हो रहे हैं. दुनिया में हमारी अर्थव्यवस्था भी अग्रिम पंक्ति में है. उद्योग और बुनियादी ढांचे आधुनिक आधार पर बन रहे हैं.
'आम नागरिकों के बुनियादी अधिकारों की सुरक्षा अब भी चुनौती'
सीजेआई ने आगे कहा कि हमारे संविधान के निर्माण के 76 साल बावजूद आम नागरिक के जीवन में बुनियादी अधिकारों की सुरक्षा संरक्षा की चुनौतियां भी हैं. संविधान के अनुच्छेद 32 के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट संविधान और नागरिक अधिकारों का संरक्षक है. हम पूरी निष्ठा से ये भूमिका निभा रहे हैं.
राष्ट्रपति और कानून मंत्री भी हुए शामिल
सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं. साथ ही विधि और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि नागरिक अधिकार, स्वतंत्रता और आजादी के विचार भारतीय संस्कृति में प्राचीन परंपरा से हैं. बाबा साहब अंबेडकर के लिए दो पंक्तियां हैं जमाना कहां वाकिफ है मेरी उड़ान से, वो और थे जो हार गए आसमान से!!
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