
- वाराणसी की वोटर लिस्ट में 50 मतदाताओं के पिता के स्थान पर संत स्वामी रामकमल दास का नाम दर्ज है.
- स्वामी रामकमल दास अविवाहित हैं. उन्होंने वाराणसी के रामजानकी मंदिर की स्थापना की थी. जहां गुरुधाम भी है.
- गुरुधाम के सचिव ने बताया कि गुरु-शिष्य परंपरा के तहत आश्रम के शिष्य अपने गुरु को पिता तुल्य मानते हैं.
50 Sons Viral Voter List: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुए वोटर लिस्ट पुनरीक्षण को लेकर बीते कुछ दिनों से लगातार सियासी पारा हाई है. इस मुद्दे के साथ-साथ चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित विपक्ष के कई नेताओं ने वोटचोरी के आरोप लगाए है. चुनावी प्रक्रियाओं पर उठ रही सवालों के बीच यूपी के वाराणसी से एक ऐसी खबर सामने आई, जो सोशल मीडिया पर जबरदस्त वायरल हो रही है. दरअसल वाराणसी के वोटर लिस्ट का एक पन्ना सशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस पन्ने में दर्ज 50 मतदाताओं के पिता के स्थान पर संत स्वामी रामकमल दास का नाम दर्ज है.
गुरुधाम के मैनेजर ने पूरे मामले की कहानी बताई
इस लिस्ट को कई लोगों ने सोशल मीडिया पर साझा किया है. फिर इस लिस्ट के जरिए वोटर लिस्ट बनाने के साथ-साथ पूरी चुनावी प्रक्रिया को सवालों में घेरे में लाया जा रहा है. वायरल वोटर लिस्ट की सच्चाई जानने NDTV उस संत स्वामी रामकमल दास जी द्वारा स्थापित गुरुधाम में पहुंची. जहां मौजूद गुरुधाम के मैनेजर ने इस वायरल वोटर लिस्ट की पूरी कहानी बताई.

महंत के सचिव रामभरत ने मामले की सच्चाई बताई
अविवाहित संत के 50 पुत्रों का नाम जारी
दरअसल वायरल हो रहे वोटर लिस्ट में पिता के नाम पर जिन स्वामी रामकमल दास के नाम का उल्लेख हैं, वो वाराणसी में गुरुधाम के रामजानकी मंदिर के संस्थापक हैं. संत अविवाहित हैं. फिर भी संत के साथ 50 बेटों के जिक्र वाली सूची सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है.

वायरल वोटर लिस्ट.
सचिव ने बताया- गुरु-शिष्य परंपरा के चलते हुआ ऐसा
स्वामी राम कमल दास के सचिव रामभरत ने बताया कि लिस्ट बिलकुल सही हैं. क्योंकि स्वामी जी जीवनभर अविवाहित रहे हैं. लेकिन, उनके आश्रम में गुरु-शिष्य परंपरा का पालन होता है. इसके तहत, आश्रम में रहने वाले सभी शिष्य अपने गुरु को पिता तुल्य मानते हैं. विभिन्न आधिकारिक दस्तावेजों में पिता के स्थान पर गुरु का नाम दर्ज कराते हैं. यही कारण है कि मतदाता सूची में पिता के नाम के स्थान पर स्वामी जी का नाम अंकित है.

गुरुधाम में पढ़ाई कर रहे बच्चे.
उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत शिष्य को बेटे के समान का दर्जा
उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत गुरु-शिष्य संबंध में शिष्य को बेटे के समान दर्जा प्राप्त है. यदि गुरु किसी स्थान के मतदाता हैं. शिष्य भी वहीं रहते हैं, तो वे उसी पते और पिता के नाम के आधार पर मतदाता सूची में दर्ज हो सकते हैं. हर चुनाव के समय ये विवाद उठता हैं ये सनातन धर्म की परम्परा पर हमला हैं. इसको बाकायदा कानूनी मान्यता प्राप्त हैं.
स्वामी के सचिव बोले- कानूनी कदम उठाएंगे
पासपोर्ट और आधार कार्ड में भी पिता के स्थान पर गुरु का नाम ही दर्ज हैं. हमारा सनातन धर्म की परम्परा हैं कि जब व्यक्ति विरक्त हो जाता हैं तो कुल परिवार सब छोड़ देता हैं तो जिस गुरु की शरण मे जाता हैं. वहीं उसका पिता होता हैं और जिन 50 लोगों के पिता के स्थान पर गुरु राम कमल वेदांती क़ा नाम हैं वो सब विरक्त सन्यासी गुरु रामकमलजी के शिष्य हैं. जो लोग ये मामला उठा रहे हैं हम उसके खिलाफ कानूनी कदम उठाएंगे.
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