ग्रीनपीस इंडिया को मद्रास हाईकोर्ट से राहत मिली है (तस्वीर : greenpeaceindia@twitter)
चेन्नई:
मद्रास हाईकोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संस्था ग्रीनपीस को फिलहाल विदेशी चंदे के मामले में राहत दे दी है। सितंबर के महीने में गृह मंत्रालय ने ग्रीनपीस का वह पंजीकरण रद्द कर दिया था जिसके तहत संस्था को विदेशी फंड मिलते हैं। मंत्रालय का दावा था कि संस्था ने कानून का उल्लंघन किया है और राजनीतिक गतिविधियों के लिए भी पैसा लगाया है। इसके अलावा ग्रीनपीस के सात बैंक खातों को सील भी कर दिया गया था।
इससे पहले सरकार ने विदेशी फंड हासिल करने वाले गैर सरकारी संस्थानों पर निगरानी रखते हुए कईयों के लायसेंस रद्द कर दिए थे, ग्रीनपीस के खिलाफ उठाया गया कदम भी उसी कड़ी का हिस्सा है। सरकार के इस कदम के खिलाफ ग्रीनपीस ने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया जहां संस्था का भारतीय चैप्टर पंजीकृत है। ग्रीनपीस का आरोप था कि लायसेंस रद्द करने की कोई ठोस वजह नहीं थी, वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो महीने के भीतर अपनी इस कार्यवाही के पीछे का स्पष्टिकरण मांगा था।
कानून का असंवैधानिक इस्तेमाल
अपनी याचिका में ग्रीनपीस ने केंद्र पर आरोप लगाया कि अपने पिछले मंसूबे कामयाब नहीं होने का बाद सरकार, विदेशी चंदे से जुड़े कानून का कठोर और असंवैधानिक रूप से इस्तेमाल कर रही है। याचिका में लिखा था 'पहले उन्होंने याचिकाकर्ता का पंजीकरण निलंबित किया और इसके बाद याचिकाकर्ता के उन बैंक अकाउंट को सील करने का आदेश भी दे दिया जो पूरी तरह से घरेलू चंदा जमा करने के काम में लाए जाते थे।'
मई के महीने में नई दिल्ली की अदलात ने ग्रीनपीस को घरेलू चंदा लेने की अनुमति दे दी थी। ग्रीनपीस का कहना था कि क्योंकि उनका ज्यादातर चंदा भारतीय नागरिकों से ही आता है इसलिए वह अपना काफी काम जारी रख सकते हैं। एक ट्वीट में ग्रीन पीस इंडिया ने लिखा है 'इस साल लगातार यह चौथी बार है जब गृह मंत्रालय की कार्यवाही के खिलाफ अदालत ने हमारा बचाव किया।'
इससे पहले सरकार ने विदेशी फंड हासिल करने वाले गैर सरकारी संस्थानों पर निगरानी रखते हुए कईयों के लायसेंस रद्द कर दिए थे, ग्रीनपीस के खिलाफ उठाया गया कदम भी उसी कड़ी का हिस्सा है। सरकार के इस कदम के खिलाफ ग्रीनपीस ने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया जहां संस्था का भारतीय चैप्टर पंजीकृत है। ग्रीनपीस का आरोप था कि लायसेंस रद्द करने की कोई ठोस वजह नहीं थी, वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो महीने के भीतर अपनी इस कार्यवाही के पीछे का स्पष्टिकरण मांगा था।
कानून का असंवैधानिक इस्तेमाल
अपनी याचिका में ग्रीनपीस ने केंद्र पर आरोप लगाया कि अपने पिछले मंसूबे कामयाब नहीं होने का बाद सरकार, विदेशी चंदे से जुड़े कानून का कठोर और असंवैधानिक रूप से इस्तेमाल कर रही है। याचिका में लिखा था 'पहले उन्होंने याचिकाकर्ता का पंजीकरण निलंबित किया और इसके बाद याचिकाकर्ता के उन बैंक अकाउंट को सील करने का आदेश भी दे दिया जो पूरी तरह से घरेलू चंदा जमा करने के काम में लाए जाते थे।'
मई के महीने में नई दिल्ली की अदलात ने ग्रीनपीस को घरेलू चंदा लेने की अनुमति दे दी थी। ग्रीनपीस का कहना था कि क्योंकि उनका ज्यादातर चंदा भारतीय नागरिकों से ही आता है इसलिए वह अपना काफी काम जारी रख सकते हैं। एक ट्वीट में ग्रीन पीस इंडिया ने लिखा है 'इस साल लगातार यह चौथी बार है जब गृह मंत्रालय की कार्यवाही के खिलाफ अदालत ने हमारा बचाव किया।'
For the 4th time this year, the courts have protected us against the MHA. Meanwhile, we go on: http://t.co/ZDOeYMEiVm pic.twitter.com/5fbafFaPKl
— Greenpeace India (@greenpeaceindia) September 16, 2015
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