यह ख़बर 09 फ़रवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

'घई को भूमि आवंटन में देशमुख ने पद का दुरुपयोग किया'

खास बातें

  • उच्च न्यायालय ने केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख को मुख्यमंत्री के रूप में अपने ‘आधिकारिक पद का दुरुपयोग’ करने के लिये उन्हें फटकार लगाई।
मुंबई:

बंबई उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्माता सुभाष घई को आज निर्देश दिया कि उनके फिल्म संस्थान के लिये आवंटित 20 एकड़ जमीन को वह महाराष्ट्र सरकार को लौटा दें। साथ ही उच्च न्यायालय ने केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख को मुख्यमंत्री के रूप में अपने ‘आधिकारिक पद का दुरुपयोग’ करने के लिये उन्हें फटकार लगाई।

बहरहाल अदालत ने कहा कि भूमि सौदे में सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है चूंकि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है कि कम मूल्य पर इसे इसलिए बेचा गया कि मुख्यमंत्री के अभिनेता पुत्र (ऋतेश देशमुख) को फिल्म उद्योग में स्थापित किया जा सके।

अदालत ने कहा, ‘इसलिए मामले को सीबीआई जांच के लिये भेजने की जरूरत नहीं है।’ मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति गिरीश गोडबोले की खंडपीठ ने फैसला दिया कि घई की मुक्ता आर्ट और महाराष्ट्र फिल्म, स्टेज एवं सांस्कृतिक विकास निगम (एमएफएससीडीसी) के बीच 30 मई 2004 को संयुक्त उपक्रम पर हुआ दस्तखत ‘अवैध, स्वेच्छाचारी और गैर कानूनी’ है। समझौते पर दस्तखत होते वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री देशमुख भी उपस्थित थे और गवाह के रूप में समझौते पर दस्तखत भी किया।

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पीठ ने कहा, ‘विलासराव देशमुख ने स्पष्ट रूप से मुख्यमंत्री के रूप में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और यह स्वीकार्य नहीं है कि कोई मुख्यमंत्री समझौते पर व्यक्तिगत रूप से दस्तखत करे जो अवैध है। यह स्पष्ट है कि विलासराव ने घई के व्हिसलिंग वुड्स को नाहक फायदा पहुंचाया।’